Home CITY NEWS जिले के आदिवासी अंचल के छात्रावासों एंव आश्रम शालाओं की दुर्दशा…

जिले के आदिवासी अंचल के छात्रावासों एंव आश्रम शालाओं की दुर्दशा…

जिले के आदिवासी अंचल के छात्रावासों की दुर्दशा
छात्रावासों में छात्रों की डर के साए में गुजरती है आदिवासी बच्चों की रात, जंगली क्षेत्र में दिन ढलते ही छात्रावास में छा जाता है घुप अंधेरा, अव्यवस्था के बीच छात्रावासों में रहना पसंद नहीं करते बच्चे, जिले हर्रई विकासखंड अंतर्गत आदिवासी विकास विभाग के छात्रावासों एंव आश्रम शालाओं का हाल

छिदंवाडा/ जिले के आदिवासी विकासखंड हर्रई अंतर्गत संचालित आदिवासी छात्रावास एंव आश्रमों में बदहाली का आलम है। आदिवासी बच्चों के लिए संचालित किए जाने वाले इस आश्रमों व छात्रावासों में सुविधाएं मुहैया करने के लिए शासन द्वारा बजट तो मुहैया कराया जाता है, लेकिन अधीक्षकों व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते व्यवस्थाएं सुदृढ़ नहीं हो पा रही हैं, जिसका परिणाम यह है कि यहां आदिवासी परिवार के बच्चे प्रवेश तो लेते हैं, लेकिन रहते रहते इन छात्रावासों एंव आश्रम में धटनाओं के शिकार हो रहे है । इसके बाद भी बच्चों के नाम पर आने वाली योजनाओं में अधीक्षक हेराफेरी करके लाखों कमा रहे है। और बच्चों के भोजन व्यवस्था के नाम पर मिलने वालें बजट डकारने का खेल चल रहा है।
कुछ ऐसा ही हाल जिले के दूरांचल हर्रई विकासखंड के ग्राम औझलढाना में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शाला आदिवासी मिश्रित आश्रम औझलढाना का सामने आया है, जहां बच्चों को सुबह कभी नास्ता नहीं मिला है ना ही गुणवत्ता युक्त भोजन दिया जा रहा है। यंहा पदस्य अधीक्षक महेश साहू नेताओं एंव अधिकारी के चरणबद्ध होने के कारण बर्षों से छात्रावास एंव आश्रम शाला का संचालन कर रहा हो। और बच्चों के मूंह का निवाला छीन रहा है। अधीक्षक कभी भी छात्रावास में ही रहता है यंहा एक चपरासी के भरोसे घने जंगलों के बीच संचालित इस आश्रम एंव छात्रावास में छोटे छोटे बच्चे डर में रात गुजारते हैं। बारिश के मौसम में तो बच्चों को काफी परेशानी होती है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। यह आश्रम तो एक उदाहरण मात्र है, सूत्रों के अनुसार दूरस्थ आदिवासी अंचल के कई छात्रावासों व आश्रमों का यही हाल बना हुआ है।

सांकेतिक चित्र

पच्चास सीटर छात्रावास औझलढाना में मिले महज चार बच्चे-
वही पच्चास सीटर आश्रम शाला में भी मात्र आठ बच्चों ही मिलें

जिले के हर्रई विकासखंड अंतर्गत औझलढाना गांव में संचालित आदिवासी मिश्रित छात्रावास एव आश्रम शाला है तो पचास/ पचास सीटर, लेकिन विगत पंचायत दिशा की टीम के भ्रमण के दौरान यहां केवल चार बच्चे छात्रावास में एंव आठ बच्चों आश्रम शाला में उपस्थित मिले। बच्चों भी डरे समय दिखाई दिए यहां पर अधीक्षक का इतना डर है कि ना यहां पर कर्मचारी कुछ बोल पाते नहीं बच्चे कुछ बोलते हैं । जबकि सच्चाई यह है कि अधीक्षक के द्वारा बच्चों को छुट्टी दे देते है जो आठ दस दिनों में छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में वापस लेटते है। अव्वस्थाओं के कारण बच्चे यंहा रहना नहीं चाहते है ।इसलिए वो अक्सर आपने धर चलें जाते है

सागौन तस्कर के हाथों औझलढाना बालक आश्रम शाला …?


सांकेतिक चित्र

मध्यप्रदेश प्रदेश के छिन्दवाड़ा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग इन दिनों कभी सुर्खियों में है यहां आए दोनों छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में अधीक्षक की लापरवाही की शिकायतें आम बात हो गई हैं । ऐसा ही मामला विगत बर्ष पहलें औझलढाना बालक आश्रम/ छात्रावास में बडी मात्र में सागौन का जखीरा फॉरेस्ट विभाग बटकाखापा ने पकड़ा था। जिसमें यंह बात समाने आई थी कि यही से अधीक्षक महेश साहू लकडी की तस्करी करता है ।जिसके बाद बटकाखापा वनविभाग ने महेश साहू के ऊपर केश दर्ज किया था ।लेकिन अधीक्षक जो बटकाखापा का एक बडा व्यापारी भी है जो लाखों की वनोउपज की भी खरीदा करता है उसने नेताओं एंव जनजातीय कार्यविभाग के अधिकारी से सांठगांठ कर मामला को दबा दिया । लेकिन आश्चर्य तब हुआ कि जिले में बैठे जनजाति विभाग कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने आज तक ऐसे वन माफिया जो (शिक्षक) अधीक्षक जैसे पद की गर्म को धूमिल किया उसे पर आज तक सहायक आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं किया बल्कि छात्रावास एवं आश्रम शालाओं का प्रभार भी देकर रखा है । जो आदिवासी बच्चों की योजनाओं में हेराफेरी कर बर्षों से लाखों कमा रहा है।

औझलढाना बालक आश्रम/ छात्रावास अधीक्षक कभी कभी ही जाते है आश्रम शाला एंव छात्रावास बाकी समय बटकाखापा में चलतें है दुकानदारों…?

जिलें के हर्रई विकासखंड के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम शाला औझलढाना में बर्षों से पदस्य अधीक्षक महेश साहू की लापरवाही चरम पर लेकिन आज तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। सूत्रों की जानकारी के अनुसार महेश साहू एक व्यापारी भी है और छात्रावास एंव आश्रम शाला के अधीक्षक भी है। अधीक्षक महोदय दिन भर अपनी दुकानदारी एवं व्यापार करते रहते हैं कभी-कभार दो-चार दिन में इनका समय मिलता है तो छात्रावास एवं आश्रम शाला में जाकर देख लेते हैं बाकी का काम यहां पदस्य चपरासी एवं रसोई यही करते हैं। इसलिए यंहा अध्यनरत बच्चों को कभी नास्ता नहीं मिलता ना ही गुणवत्ता युक्त भोजन यहां पर अध्यनरत बच्चों को मिल रहा है लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त कभी यहां का निरीक्षण नहीं करते ना ही क्षेत्र संयोजक एवं मंडल संयोजक यहां का निरीक्षण नहीं करते हैं ।जिसके कारण यहां बरसों से पदस्थ अधीक्षक महेश साहू अपनी मनमानी करते नजर आ रहा है..

तीन संतान होने के बाद भी बर्षा से विभाग को गुमराह करके कर रहा महेश साहू नौकरी…?

सांकेतिक चित्र

तीन संतान वालें अधीक्षक कर रहे मौज

छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में अधिकारियों की मेहरबानी से ऐसे सेकडों शिक्षक जिनकी 2001 के बाद तीन संतान होने के बाद भी मंजे से बरसों से नौकरी कर रहे हैं।जिसकी जानकारी जिलें में बैठे अधिकारियों को भी है ।सूत्रों की जानकारी के अनुसार जनजातीय कार्यविभाग में ऐसे सेकडों शिक्षक है जिनकी तीन संतान है ।लेकिन जिलें में बैठे अधिकारी को सेवा शुल्क देकर मामला ठंडे बस्तें में डाल दिया गया है।

महेश साहू दुसरे शिक्षक का आदेश होने के बाद भी छात्रावास का नहीं दे रहे चार्ज…
हर्रई विकासखंड के औझलढाना में छात्रावास एंव आश्रम शाला में बर्षा से मठाधीश बने बैठे महेश साहू ने चार महिने से दुसरे शिक्षक का अधीक्षक के पद पर बालक छात्रावास औझलढाना में पेंस्टिग होने के बाद भी उन्हें चार्ज नहीं दे रहा है। यंहा महेश साहू के पास बालक आश्रम एंव छात्रावास दोनों जगह का चार्ज है । लेकिन दुसरे अधीक्षक को अभी तक चार्ज नहीं दिया है।

सहायक आयुक्त के आदेशों को देखा रहा ठेंगा..?
आदिवासी बालक आश्रम औझलढाना में कई बर्षा से पदस्य अधीक्षक महेश साहू जिलें के सहायक आयुक्त के आदेशों का भी पालन नहीं कर रहा है। जिसके कारण छः महीने से एक अधीक्षक छात्रावास में जाता है और बैठकर आ जाता है लेकिन उनके चार्ज नहीं दे रहा है और तो और गांव के कुछ लोगों को पैसे देकर यंहा आयें अधीक्षक की शिकायत करता है जिससे उन्हें यंहा से हटा दिया जायें ।आज तक किसी भी अधीक्षक को यंहा रहने नहीं देता है । जब यंहा पदस्य अधीक्षक से बात कि तो उन्हें बताया कि उपस्थित पंजीयन रजिस्टर में भी साइन नहीं करने देता है ।और फिर उच्च अधिकारियों को मेरी शिकायत करता है।

कार्यविभाग के छात्रावास में तीन छात्रों की मौत के बाद …

छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास में तीन छात्रों की मौत के बाद में जिलें में बैठे उच्च अधिकारी ऐसे लापरवाह अधीक्षक पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है जिसके कारण आज छात्रावासों में आदिवासी बच्चों की ऐसी स्थिति है । लेकिन फिर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है कभी इन छात्रावासों एंव आश्रम शालाओं का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है सहायक आयुक्त महोदय भी एसी आफिस में बैठकर आपना काम देख रहे है और तीनों क्षेत्रसंयोजक एंव एक मंडल संयोजक को भी कार्यालय में बैठकर काम करा रहे है ।जिस अधीक्षक को जरूरत होती है आफिस में आकर काम करा लेता है और सेवा शुल्क जमा कर चला जाता है ।इन बच्चों की कोई सुंध नहीं लेते है ।इसलिए ऐसी धटना जिलें में बार बार हो रही है ।लेकिन जिम्मेदार की आँखें नहीं खुल रही है।

पूरी खबर देखे:-
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284

अगले एपिसोड में और देखें औझलढाना अधीक्षक के कारनामों की खबरें.।