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कान्या शिक्षा परिसर में शिक्षा सत्र खत्म हो जाता है, परंतु नहीं मिल पाती सामग्री..

आदिवासी विभाग द्वारा शासकीय कन्या शिक्षा परिसर संचालित है जहां पर शासन द्वारा दिया जा रहे बच्चों के सुविधा हेतु बजट का समयानुसार उपयोग नहीं हो रहा है गलत संचालन व्यवस्था के कारण बालिकाएं शासन की योजनाओं से मिल रही लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।

शिक्षा सत्र खत्म हो जाता है, परंतु नहीं मिल पाती सामग्री..

कन्या शिक्षा परिसर के विद्यार्थियों के संख्या के आधार पर मदवार शिष्यवृत्ती पाठ्य पुस्तक,स्टेशनरी,पोषण आहार गणवेश,कोट ब्लेजर, खेलकूद खेल आयोजन,संस्कृतिक कार्यक्रम आदि के लिए लाखों रुपये सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग द्वारा प्रदाय किया जाता है। बालिकाओं के लिए गणवेश एवं विस्तार के सामग्री क्रय करने हेतु प्राचार्य को अधिकृत किया जाता है। परंतु आदिवासी बालिकाओं की शिक्षा पर परिसर के प्राचार्य द्वारा भंडार क्रय नियम के विरुद्ध सामग्री क्रय किया जाता है जो उनके भ्रष्ट मानसिक को उजागर करता है I यह सामग्री शिक्षा सत्र 2024-25 समाप्त होने को है परंतु गणवेश की वितरण सभी छात्राओं को नहीं कराया गया ! कुछ ही छात्राओं को गणवेश देकर कालम पूर्ति की गई है ।

हर साल ठंडी समाप्त हो जाती है परंतु बालिकाओं को कोर्ट ब्लेजर और प्रसाधन की समग्री नहीं मिल पाती

खेल आयोजन के बिना ही राशि आहरण कर ली जाती है हर साल

कान्या शिक्षा परिसर में खेलकूद आयोजन के कार्यक्रम कराए बिना ही आदिवासी छात्राओं के पैसा को निकल लिया जाता है छात्राओं के बैंक खातों में लाखों रुपये की शिष्यवृत्ती डाली जाती है। ताकि बालिकाओं को अच्छा भोजन मिल साकें ।लेकिन जिलें में हो रहे कान्या शिक्षा परिसर में बालिकाओं को अच्छा भोजन नहीं दिया जाता है । कई बार तो भोजन में इल्ली तक निकल गई है । जुन्नारदेव एंव हर्रई के कान्या शिक्षा परिसर के छात्रावासों में

जिसकें बाद हर्रई एंव जून्नादेव की छात्राओं से हडताल तक किया लेकिन आज तक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। छात्राओं के लिए स्टेशनरी एवं प्रसाधन सामग्री की राशि डाली जाती है ।जो छात्राओं के बैंक खाता में जमा होना था परंतु लाखों के कमीशन के चक्कर में प्राचार्य एंव जिलें में बैठे सहायक आयुक्त स्टेशनरी सामग्री सप्लायर से करते हैं। गरीब आदिवासियों की बालिकाओं का इस तरह का शोषण शासकीय कन्या शिक्षा परिसर छिंदंवाडा जिलें में संचालित सभी कान्या शिक्षा परिसर के प्राचार्य द्वारा भ्रष्ट मानसिकता एवं उदासीनता व उनके कार्य दक्षता पर सवाल उठना स्वभाविक है।

जिलें में संचालित कान्या शिक्षा परिसर में लाखों की होती है खरीदी..


जिलें में संचालित कान्या शिक्षा परिसर में हर साल करोड़ों की सामग्री खरीदी होती है । सूत्रों की जानकारी के अनुसार पूरे जिलें में संचालित कान्या शिक्षा परिसर में हर साल करोड़ों की स्टेशनरी एंव प्रसाधन सामग्री खरीदी जाती है ।जिसमें लाखों का कमीशन सप्लायर द्वारा जिलें में बैठे सहायक आयुक्त को दिया जाता है। सप्लाई का ऑडर उसे मिलता है।जो ज्यादा कमीशन देता है ,प्राचार्य एंव सहायक आयुक्त को सामग्री की क्वालिटी से कोई मतलब नहीं होता है। कान्या शिक्षा परिसर के प्राचार्य की पोस्टिंग भी सहायक आयुक्त आपने हिसाब से करतें है जो उनकी बात सुनते है ।उन्हें ही प्राचार्य बनाया जाता है। ऐसे अधिकारियों के कारण आज आदिवासी बालिकाओं को मूलभूत सुविधाओं से बंचित रहना पड़ रहा है ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों ने शासन प्रशासन के बेहतर गठजोड़ के कारण अपना पांव जमाए बैठे है। जिसके कारण आदिवासी बालिकाओं के हक पर डाका डालते रहेंगे।

आदिवासी बाहुल्य जिले की में संचालित कन्या शिक्षा परिसर बिछुआ,परासिया, हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव,छिदंवाडा में संचालित छात्रावासों में लैब सामग्री व पुस्तकें पुस्तकालय के लिए खरीदी में हर साल लाखों की हेराफेरी की जाती है । लेकिन कान्या शिक्षा परिसर में कितनी सामग्री सप्लाई होती है ये किसी से छुपी नहीं है ज्यादातर सामग्री सिर्फ कागजों में होती है। कई कान्या शिक्षा परिसर में साल बीतने के बाद पुस्तकें व लैब सामग्री नहीं पहुंची है। नाम नहीं बताने पर प्राचार्यं शिक्षा परिसर ने बताया कि सामग्री जिलें से सप्लाई होती है हम तो सिर्फ नाम मात्र के प्राचार्य है। इसी तरह जिले में अन्य शिक्षा परिसर में लैब व पुस्तकें नहीं पहुंची है।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा-

कन्या शिक्षा परिसर में सामग्री खरीदने में सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा हुआ है। इसमें शासन के नियमों की धज्ज्यिां खुले आम सहायक आयुक्त जनजाति कल्याण ने उड़ाई है। इसके लिए शासन के नियमों तोड़ कर शाला प्रबधन समिति के खाते में राशि नहीं डालकर , पालक शिक्षा संघ के खाते में राशि डाल दी है। दरअसल शाला प्रबंधन समिति में राशि जाने के बाद यह राशि का आहरण प्राचार्य के द्वारा ही किया जा सकता है। इससे बचने के लिए पालक शिक्षा संघ के खाते में राशि कर सहायक आयुक्त सीधे खाते में राशि डाल दी।
छोटे-छोटे टुकड़ों में हुआ भुगतान…
बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े में सहायक आयुक्त जननाजति कल्याण ने निविदा नहीं बुलानी पड़े। इसके लिए 25 हजार रुपए से कम के भुगतान व आर्डर जारी किए है। जिससे कि शासन को आर्थिक क्षति हुुई है। जबकि 25 हजार रुपए से अधिक के लिए निविदा बुलानी अनिवार्य और इसकी खरीदी शासकीय एजेंसी जूम से की जानी है। बावजूद इससे बचने के लिए सहायक आयुक्त टुकड़ों में पांच लाख का भुगतान किया है। आदिवासी बाहुल्य जिले की में संचालित कन्या शिक्षा परिसर बिछुआ,परासिया, हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव,छिदंवाडा में संचालित छात्रावासों में लैब सामग्री व पुस्तकें पुस्तकालय के लिए खरीदी की जानी थी। बावजूद दो साल बीतने के बाद पुस्तकें व लैब सामग्री नहीं पहुंची है। प्राचार्यं शिक्षा परिसर ने बताया कि कोई सामग्री नहीं मिलना बताया है। इसी तरह जिले में अन्य शिक्षा परिसर में लैब व पुस्तकें नहीं पहुंची है
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा…

कन्या शिक्षा परिसर में सामग्री खरीदने में सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा होता है। इसमें शासन के नियमों की धज्ज्यिां खुले आम सहायक आयुक्त जनजाति कल्याण द्वारा उड़ाई जाती है । इसके लिए शासन के नियमों तोड़ कर शाला प्रबधन समिति के खाते में राशि नहीं डालकर , पालक शिक्षा संघ के खाते में राशि डाल दी है। दरअसल शाला प्रबंधन समिति में राशि जाने के बाद यह राशि का आहरण प्राचार्य के द्वारा ही किया जा सकता है। इससे बचने के लिए पालक शिक्षा संघ के खाते में राशि कर सहायक आयुक्त सीधे खाते में राशि डाल दी।

छोटे-छोटे टुकड़ों में हुआ भुगतान…
बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े में सहायक आयुक्त जननाजति कल्याण ने निविदा नहीं बुलानी पड़े। इसके लिए 25 हजार रुपए से कम के भुगतान व आर्डर जारी किए है। जिससे कि शासन को आर्थिक क्षति हुुई है। जबकि 25 हजार रुपए से अधिक के लिए निविदा बुलानी अनिवार्य और इसकी खरीदी शासकीय एजेंसी जूम से की जानी है। बावजूद इससे बचने के लिए सहायक आयुक्त टुकड़ों में पांच लाख का भुगतान किया है।

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284