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जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त / अधीक्षक की लापरवाही से एक बालक आश्रम बंद होने की कगार…

जनजातीय कार्यविभाग सहायक आयुक्त / अधीक्षक की लापरवाही से एक बालक आश्रम बंद..?

आदिवासी बालक आश्रम चिखलार में एक भी बच्चों का नहीं है एडमिशन … जनजाति क्षेत्रों से जुड़ा है मामला –

छिदंवाडा -मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के गरीब छात्रों को शिक्षा उपलब्ध कराने के मकसद से आश्रम शाला एंव छात्रावास संचालित कियें जा रहे है। ताकि आदिवासी समाज के गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा साकें ।लेकिन विभाग में बैठे भ्रष्टाचारी एंव लापरवाह अधिकारी सरकार की योजनाओं में पलीता लगातें देख रहे है। ऐसा ही मामला छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित जुन्नारदेव विकासखंड के चिखलार आदिवासी बालक आश्रम में देखने को मिला जंहा विभाग की लापरवाही से आश्रम शाला में पिछले एक साल से कोई भी छात्र का एडमिशन नहीं किया गया है। जो आज बंद होने की कगार पर है। यंहा पिछले एक साल से अधीक्षक के द्वारा कोई भी आदिवासी बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया है।

जनजातीय कार्यविभाग की लापरवाही आई समाने…


केन्द्र एंव राज्य सरकार आदिवासी समाज के बच्चों के उत्थान के लिए और नयें छात्रावास एंव आश्रम शाला खोलने की बात कर रही है। लेकिन छिंदंवाडा जनजातीय कार्यविभाग में बैठे सहायक आयुक्त की लापरवाही एंव अकुशल कार्यप्रणाली के कारण आज जिलें के आश्रम शालाएं एंव छात्रावास की हालत किसी से छुपी नहीं है। आज छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में निगरानी के अभाव में आदिवासी छात्र/छात्राओं के साथ अन्याय हो रहा है, उशके साथ खुलकर अत्याचार हो रहा है। लेकिन देखने वाला कोई नहीं है। जिसका नतीजा देखने को मिल रहा है जुन्नारदेव विकासखंड के चिखलार आदिवासी बालक आश्रम शाला जंहा विभाग के उच्च अधिकारी को या तक नहीं मालूम है कि चिखलार बालक आश्रम पिछले एक साल से बंद है । ये निगरानी का ही अभाव है ।जिसके कारण विभाग के अधिकारी/ कर्मचारी एंव मंडल संयोजक / क्षेत्रसंयोजक को भी पता नहीं की यंहा एक भी छात्र नही है। यंहा पदस्य शिक्षकों कछ अन्य शालाओं में अटैचमेंट कर दिया गया है ।यहां तक अधीक्षक को भी दुसरी शाला में अटैचमेंट किया जा चूका है ।सिर्फ एक चौकीदार यंहा पदस्य है..

जिलें के सहायक आयुक्त की लापरवाही ने एसटी छात्रों के लिए खड़ी की मुश्किलें:

केन्द्र एंव राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रयास करती है. जिसकें लिए आदिवासी अंचलों में आश्रम शालाओं के माध्यम से आदिवासी बच्चों के शिक्षा देने का एक प्रयास है, जिसके कारण बच्चों को आश्रम शाला में रहने खाने-पीने से लेकर सभी सुविधाएं महिया कराई जाती है लेकिन छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त की लापरवाही इन आदिवासी बच्चों पर भरी पड़ती नजर आ रही है। आज कई आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में है। जिलें के जुन्नारदेव विकासखंड की एक आश्रम शाला बंद होने के कगार में है यंहा पदस्य अधीक्षक की लापरवाही के कारण एक भी छात्रों का एडमिशन नहीं लिया गया । जिसके कारण आज चिखलार बालक आश्रम शाला में ताला लग हुआ है । लेकिन आश्चर्य की बात है कि छात्रावास/आश्रम शालाओं का निरीक्षण करने वालों मंडल संयोजक एवं क्षेत्र संयोजक ने कैसी निगरानी किया होगा कि उन्हें ही नहीं मालूम की यंहा एक भी छात्र नहीं है। जबकि विभाग के द्वारा नियुक्ति ही निगरानी करने के लिए हुई है । जबकि छिंदंवाडा जिलें में चार क्षेत्रसंयोजक एक मंडल संयोजक ब्लॉक में बीईओ पदस्य है उसके बाद भी विभाग को नहीं हुआ मालूम.! जुन्नारदेव विकास के मंडल संजोजक ने क्यों नहीं दिया जानकारी कि
चिखलार बालक आश्रम में एक भी छात्र नहीं रह रहे है। उन्हें समझ में नहीं आया । जबकि विभाग के द्वारा हर महिनें बच्चों की शिष्यावृती एंव अन्य योजना का पैसा डाला जाता है।

छिंदवाड़ा जनजाति विभाग की बड़ी लापरवाही, बिना बच्चों के आश्रम …

छिंडवाड़ा जिलें के जुन्नारदेव विकासखंड में एक ऐसा बालक आश्रम मौजूद है, जहां पर शिक्षक तो मौजूद हैं, लेकिन एक भी बच्चों के एडमिशन नहीं लिया गया। विभाग को पता नहीं है कि आश्रम एक सालों से बंद है!
आखिर इस लापरवाही के लिए कौन कौन से अधिकारी / कर्मचारी दोषी है जिनके कारण आज कई आदिवासी गरीब बच्चें शिक्षा से वंचित हो रहें है।

जनजातीय विभाग छिंदवाड़ा में ऐसे कारनामा कई सालों से चला आ रहा है…

छिदंवाडा के जनजाति कार्यविभाग की पहले भी देखी थी लापरवाह…

बालक आश्रम में नहीं मौजूद बच्चे:
जनजातीय विभाग छिंदवाड़ा का ये कारनामा कई सालों से चला आ रहा है. यहां स्थित बालक आश्रम से कई सालों से बच्चों नदारद हैं, लेकिन यहां बच्चे नहीं रहते हुए भी 5 शिक्षक पदस्थ हैं. शिक्षक को फ्री का हर महीने विभाग से वेतन मिल रहा है. जबकि आज भी ग्रामीण इलाकों में कई बालक आश्रम ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं,

लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन.?

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284