बटकाखापा क्षेत्र में अबैध रेत माफिया सक्रिय..
अतरिया और चटनी में जगह- जगह डंप हैअबैध रेत..
वन,राजस्व ,पुलिस के नाक के नीचें से हो रही रेत की तस्करी..!
छिदंवाडा – जिले में इन दिनों रेत अवैध उत्खनन करने वाले लोग सक्रिय है उनको जहां मर्जी आ रही है अबैध उत्खनन करने से नहीं चूक रहे है ।आज जिलें के बड़े बड़े ठेकेदार इस काम में लगे हुए हैं क्योंकि आज दिन दूनी और रात चौगुनी कमाई करनी है । तो वो है रेत का काम इसलिए आज शहर के बड़े-बड़े नामची एवं बाहरी जिले के लोग भी इस काम में लगे हुए हैं । यदि किसी को पैसा कमाना है तो वह है रेत का व्यवसाय , जिला मुख्यालय से लेकर पूरे जिले भर की नदी नाले में आज रेत के अवैध उत्खनन जोरों पर हैं लेकिन जिले में बैठे राजस्व ,खनिज, फॉरेस्ट, पुलिस विभाग मूकदर्शक बनकर देख रहे हैं। यह कहो कि सत्ताधारी नेताओं के हुक्म का पालन कर रहे है । आज अबैध उत्खनन करने वाले लोगों के हौसंले बुलंद है । अवैध उत्खनन करने वाले बिना रोक टेक के अवैध उत्खनन करने से नहीं चूक रहे है उनको किसी का डर नहीं है। ऐसा ही मामला अतरिया एंव चटनी में देखा गया है जंहा सेकडों ट्राली अबैझ. रेत डंप कर रखी गई है । यंहा वन क्षेत्रों से रोज सेकडों.ट्राली रेत.की अवैध तस्करी होती है।

वनपरिक्षेञ के पूर्व मंडल के पश्चिम वन परिक्षेत्र बटका खापा के क्षेत्र में आने वाली नदियों में इन दिनों अवैध रेत के उत्खनन जोरों पर हैं यहां पर रात दिन वन विभाग की नदियों के अंदर से बिना रोक-टोक करें अवैध रेत उत्खनन करने वाले रेत निकाल रहे हैं लेकिन यहां पदस्थ वन कर्मचारी मूक दर्शक बनकर देख रहे है। या कहो की सांठगांठ कर यह पूरा खेल खेल रहे हैं । वन विभाग ,राजस्व एंव पुलिस विभाग के अधिकारी एंव रेत माफियाओं की साठगांठ से इस क्षेत्र में ये काम चल रहा है । सबसे ज्यादा अतरिया चाटनी में देखा जा सकता है । जहां रेत माफियाओं की जंहा मर्जी होती है वहां की नदियों से रेत निकाल लेते हैं ।जबकि इस क्षेत्र में वनविभाग की दो दो वन चौकी अंखावाडी एंव भैसाखोह होने के बाद भी यहां से प्रति दिन कई ट्राली रेत का अबैध उत्खनन होता है । रेत के अबैध इस काम में लोकल के सत्ताधारी पाटी के नेताओं एंव बड़े-बड़े रेत ठेकेदार ये सब काम कर रहे है ।ये काम प्रतिदिन ट्रेक्टरों के सहयोग से करते है जिसके लिए 50 से 100 टैक्टरों को लगया गया है जो सीधे जगलों के अन्दर की नादियों से बहते पानी से रेत निकलते है । जिसके लिए 50से 100 मजदूर डेली काम कर रहे है। जो तीन सौ से पाँच सौ में एक ट्राली रेत भरते है ये सब लोकल के मजदूर रहते है । ये मजदुर सिर्फ आफनी रोजी रोटी के लिए काम करते है ।ये काम यहां रोज खुलेआम होता है । इसके लिए बकायदा ठेकेदारों ने इस काम के लिए लड़के लगाकर रखे हुए हैं । जिनकी देखरेख में पूरा काम होता है जो पूरे हथियारों से लैस रहते हैं।इन अबैध उत्खनन करने वाले पर वन विभाग के कर्मचारी/अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते है ।नविभाग इन रेत माफियों पर कार्यवाही नहीं कर रहा है इसलिए रेत माफिया जगलों की नादियों के अन्दर अवैध उत्खनन कर रहे है।यंहा ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग कहते है कि हमारें पास वन विभाग एंव खनिज विभाग की परमिशन है। जबकि बेहते पानी से रेत निकल ही नहीं सकते है। क्योंकि एनजीटी के साफ निर्देश है कि बहते पानी से रेत ना निकाली जाए उसके बाद भी रेत माफिया रेत निकालने से नहीं चूक रहे हैं। और ठेकेदार के आदमी ग्रामीणों के डरते धमकाते रहते है।खनिज विभाग के अधिकारी भी कभी इन जगहों में दौरा करता है। जिसके कारण अबैध रेत उत्खनन करने वाले सक्रिय है ये खेल सब बड़े-बड़े ठेकेदार की देखरेख में होता है ।सूत्रों की मानो तो यह सब खेल रेत माफिया वन विभाग एवं खनिज अधिकारी की सांठगांठ से चल रहा है।अब देखना है कि जिला प्रशासन ,वनविभाग के उच्च अधिकारी खनिज विभाग अधिकारी इसमें कब रोक लगाते हैं या फिर यूं ही वन संपदा की लूट होते रहेगी।
ठा.रामकुमार राजपूत
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