Home CITY NEWS मूलभूत सुविधाओं से वंचित आदिवासी छात्रावास/आश्रम शाला, छात्रों को करना पड़ रहा...

मूलभूत सुविधाओं से वंचित आदिवासी छात्रावास/आश्रम शाला, छात्रों को करना पड़ रहा परेशानी का सामना..

मूलभूत सुविधाओं से वंचित आदिवासी छात्रावास/आश्रम शाला, छात्रों को करना पड़ रहा परेशानी का सामना..

छिदंवाडा जिलें में आदिवासी छात्रों के छात्रावास एंव आश्रम शालाएं संचालित हो रही है। लेकिन यहां छात्रों को सरकारी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है!

By admin
14 August 2024
पंचायत दिशा समाचार

ठा.रामकुमार राजपूत

मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ आदिवासियों के हित की बात करती है. आदिवासी छात्रों को अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य देने की बात करती है. दूसरी ओर छिदंवाडा जिलें में स्थित आदिवासी छात्रावास/आश्रम में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है. सुविधाओं के अभाव में किसी तरह छात्रावास /आश्रम में रहकर छात्र अपनी पढ़ाई करते हैं. छात्रावास /आश्रम में रहने वाले छात्रों को ना सही से पानी मिल पाता है और ना ही कोई सरकारी सुविधा का लाभ मिल पाता है. पढ़ने के लिए टेबल कुर्सी के साथ ही बेड भी जर्जर हो चुके हैं.शौचालय भी खस्ताहाल है , मच्छर से छात्र परेशान रहते हैं. बच्चों को मच्छरदानी तक नहीं मिल पाती है.

जर्जर भवन में रहने को मजबूर नन्हें मुन्ने आदिवासियों के बच्चों..!

जिलें में संचालित होने वालें छात्रावास / आश्रम शालाएं के भवनों की हालत जर्जर हो चुकी है। फिर भी यंहा रहकर पढाई करने के लिए मजबूर है छात्र ,हर साल मरम्मत के नाम पर जनजातीय कार्यविभाग छिदंवाडा में करोड़ों का बजट आता है। लेकिन कहा जाता है किसी के नहीं मालूम आखिर कौन से छात्रावास / आश्रम की मरम्मत कराई जा रही है।इतना बजट हर साल मिल रहा है तो कहा जा रहा है। आज भी जिलें के कई आदिवासी छात्रावास/आश्रम शालाओं की स्थिति बदहाल है। ऐसा ही परासिया विकासखंड के अंबाडा़ आदिवासी बालक आश्रम में देखने को मिला जंहा भवन की हालत जर्जर है चारों तरफ भवन की दीवार टूटी हुई है शौचालय टूटे-फूटे पड़े हुए हैं। जंहा छोटे- छोटे बच्चें रहते है । वहां कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है,क्योंकि भवन की स्थिति ठीक नहीं है .बारिश में छत से पानी स्पीच हो रहा है।जिसके कारण कंरट फैलाने का भी डर बना रहता है। भवन की छत कभी भी गिर जाती है।जिसके कारण कभी बडी दुर्घटना हो सकती है..

हालांकि जर्जर छात्रावास भवन जीर्णोद्धार के लिए बीते महिनों मार्च में जनजातीय कार्यविभाग छिदंवाडा को करोड़ों रुपये की राशि जर्जर आदिवासी छात्रावास भवन का जीर्णोधार के लिए आई थी। .इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद भी जर्जर आदिवासी आश्रम/ छात्रावास भवन चमकेगा या नही लेकिन ठेकेदार और संबंधित विभाग के पदाधिकारी का चेहरा चमकेगा जरूर! यह तो कहा नहीं जा सकता है. लेकिन देखने में तो लगता है कि आश्रम/ छात्रावास भवन तो नहीं चमकें लेकिन ठेकेदार एंव संबंधित विभाग के पदाधिकारियों के चेहरे जरुर चमकने लगें है ।

जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास /आश्रम शाला में निगरानी की कमी…

छिदंवाडा जिलें में संचालित छात्रावास/ आश्रम शालाओं में आज आदिवासी समाज के बच्चों बदहाल व्यवस्था में रह कर पढाने के लिए मजबूर है। यंहा पदस्थ कर्मचारियों एंव अधीक्षक की लापरवाही से इन छात्रों को आज पढाई के साथ साथ कई बार खुद से खाना बनाते हैं और बीमार होने पर इलाज भी उन्हें खुद से ही करना पड़ता है.ऐसा ही मामला चौरई के आदिवासी छात्रावास में देखने को मिला था।

आदिवासी छात्रावास में घुसकर छात्रा पर हुआ चाकू से हमला

मध्यप्रदेश के छिदंवाडा जिलें में संचालित हो रहे छात्रावास में आज आदिवासी समाज के बच्चों सुरक्षित नहीं है । ना ही उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल रही है ।जिसका उदाहरण आपके हर्रई विकासखंड के परतापुर आदिवासी बालक छात्रावास में कुछ महिनें पहले छात्रावास में रहने वाले एक छात्र पर किसी नकाबपोश ने चाकू से हमला कर दिया था इसके बाद छात्रा को हर्रई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भर्ती कराया गया था लेकिन सवाल यह उठता है कि छात्रावास में रहने वाले छात्र को किसने हमला किया आखिर कहां थे अधीक्षक और कहां थे छात्रावास व्यवस्था की व्यवस्था में लगें कर्मचारी..!

आश्रम शालाओं के बच्चों से कराया जाता है काम

जिला मुख्यालय के मनसरोवर बस स्टेंड पीछे आदिवासी बालक आश्रम के छोटे-छोटे बच्चों से कराया जाता है काम जिसका सोशल मीडिया में खूब हुआ था वीडियो वायरल लेकिन जिले में बैठे सहायक आयुक्त ने आज तक ऐसे दोषी अधीक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं की ना ही कोई जांच की गई

छिंदवाड़ा के परासिया में अनुसूचित जाति छात्रावास का मामला..आया था समाने..!

छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने तहसीलदार, जनजातीय कार्यविभाग की महिला अधिकारी, महिला बाल विकास अधिकारी के समाने बताई थी। ये सब बातें फिर भी कोई कार्यवाही नहीं कुछ दिनों के लिये निलंबित फिर बहाल..

छात्रों ने बताया था कि अधीक्षिका गंदी-गंदी गालियां देती है और कुत्तों का मल-मूत्र साफ कराती है ..! ये सुनकर बच्चों को हॉस्टल नहीं भेज पाएंगे आप
परासिया के जूनियर अनुसूचित जाति छात्रावास में बच्चियां डरी सहमी रह रही हैं। अधीक्षिका गालियां देने के साथ-साथ खाने में गंदी सब्जियां देती हैं। पुरुषों का प्रवेश प्रतिबंधित रहता है, लेकिन फिर भी मेल स्वीपर को बुलाकर बाथरूम साफ कराती है।

छात्रावास के भोजन में इल्लियां निकल गई। इल्ली निकलने की शिकायत के बाद सभी छात्राएं छात्रावास के बाहर..

छिंदवाड़ा के आदिवासी विकासखंड जुन्नारदेव के कन्या छात्रावास में शुक्रवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब यहां छात्राओं को परोसे गए भोजन में इल्लियां निकल गई। इल्ली निकलने की शिकायत के बाद सभी छात्राएं छात्रावास के बाहर धरने पर बैठ गई और प्राचार्य के खिलाफ नारेबाजी करने लगी। लगभग 300 छात्राओं का गेट के बाहर धरना देेने की जानकारी सामने आते ही तत्काल अधिकारियों ने उन्हे मनाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानी

छात्रावास /आश्रम प्रबंधन की लापरवाही से छात्र/ छात्रा की मौत ..?

छिदंवाडा जिलें में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में इन दिनों अधीक्षक एंव निगरानी करने वालें मंडल संयोजक एंव सहायक आयुक्त की लापरवाही चरम पर है ।जिलें में बडी बडी धटना होने के बाद भी विभाग सूंध नहीं ले रहा है । सूत्रों की जानकारी के अनुसार इन दिनों जनजातीय कार्यविभाग में लापरवाही करने वालें एंव भ्रष्टाचार में लिप्त अधीक्षक/ अधीक्षिकाओं में मेहरबान है सहायक आयुक्त इसलिए तो जिलें के छात्रावासों में दर्जनों धटना होने के बाद भी सहायक आयुक्त ने आज तक कोई कार्यवाही नही किया है । जबकि आदिवासी बालक छात्रावास सोनपुर विकासखंड अमरवाडा छात्रावास में एक छात्र की मौत.. होने के बाद भी जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त ने सूंघ नहीं लिया । इसी प्रकार जिला मुख्यालय में स्थिति संयुक्त कान्या छात्रावास में एक नाबालिग छात्र ने आत्महत्या कर लिया था ।जिसके बाद राज्य सरकार के मंत्री ने तत्परता दिखाते हुए सहायक आयुक्त एवं अधीक्षक को निलंबित कर दिया था और भोपाल से विभागीय जांच के लिए अधिकारी पहुंचाएं लेकिन लगता है मंत्री जी एवं विभाग भी एक आदिवासी नाबालिक बच्चों की मौत की जांच करना भूल गया लगता है । इसलिए तो आज तक जांच रिपोर्ट उजागर नहीं हुई और ना ही दोषियों पर कोई कड़ी कार्रवाई हुई है।और आज भी जिले के सहायक आयुक्त एवं अधीक्षिका ने न्यायालय से स्ट्रो लेकर मजे से कर रहे हैं नौकरी..?