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राज्य शिक्षा केंद्र का आदेश हवा में उडा रहे , जिला परियोजना समन्वयक…?

राज्य शिक्षा केंद्र का आदेश हवा में उडा रहे , जिला परियोजना समन्वयक…?

जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) ने दिखावा के लिये निकला विज्ञाप्ति…
By admin
1 August 2024
पंचायत दिशा समाचार

छिदंवाडा (म.प्र)- छिदंवाडा जिला परियोजना समन्वयक ने विगत 19 जुलाई 2024 को जारी पत्र में मप्र राज्य शिक्षा केंद्र का हवाला देते हुआ लिखा था कि जिले में सर्वंशिक्षा अभियान अंतर्गत संचालित शासकीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय व बालिका छात्रावासों मोरडोंगरी, पौनार, दमुआ, खुमकाल, नदौरा, कपरवाडी, चारगांव, धनौरा,में वार्डन पद के अतिरिक्त प्रभार दिए जाना प्रस्तावित है। इच्छुक महिला शिक्षिका 7 दिवस के अंदर कार्यांलय में सहमति पत्र प्रस्तुत करें। बताया जाता है कि जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र का यह पत्र कमाऊ साबित हो रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो जिले के अधिकारी ने पत्र की धौंस दिखाकर अपनी जेबें गर्म कर रहे है।और अतिरिक्त प्रभार की प्रक्रिया को ठेंगा दिखाया जा रहा है । सिर्फ जनसंपर्क में विज्ञप्ति देकर आपना कर्तव्य पूरा कर लिया ,किसी भी पेपर भी विज्ञप्ति नही दिया । क्योंकि उन्हें पुरानी वार्डन को नहीं हटना था ।इसलिये किसी भी समाचार पत्रों में बिज्ञापन नहीं निकला जिसके कारण कोई भी शिक्षिका ने आवेदन नहीं जमा कर सकी क्योंकि जिलें में किसी को पता ही नहीं चला ।जिसके कारण डीपीसी आपनी नीति में सफल हो गयें। कस्तूरबा गांधी छात्रावासों की बागडोर पुरानी वार्डन संहाले इसलिए ऐसा किया गया ।अधीक्षिकाओं को अभयदान देने के उद्देश्य से अधिकारी ने गुपचुप तरीकों से आदेश निकला था ।

कहां कितनें सालों से जमीं अधीक्षिकाएं …।

छिदंवाडा जिलें में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास एंव बालिका विधालय में दस सालों से अधिक समय से जमी है ये छात्रावास एंव विधालय में वार्डन , मोरडोंगरी, पौनार, खुमकाल, नदौरा, कपरवाडी, हर्रई, चारगांव,अमरवाडा में कई बर्षों से जमी है यंहा की वार्डन लेकिन फिर भी जिलें के अधिकारी इन्हें क्यों नहीं हटा पा रहे है ये एक बडा सवाल है । ये खेल जिलें में बर्षों से चल रहा है।आखिर कब हटेंगी ऐसी वार्डन?

वार्डन सालों से नियम विरुद्ध तरीके से आवासीय छात्रावासों में जमी

जिलें में बैठे अधिकारियों की मेहरवानी और स्वार्थ परक नीति से कहीं दसक तो डेढ़ दसक से अधीक्षिकाएं (वार्डन)जमीं हुई है। बताया जाता है कि राज्य शिक्षा केंद्र ने 2 बर्ष पूर्व अधीक्षिकाओं को बदलनें का आदेश जारी किया था लेकिन अधिकारियों ने उसे भी हवा में उड़ा दिया। ग्रामीण बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत जिले में शासकीय कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास और आवासीय बालिका विधालय शुरू किए थे। विधिवत संचालन के लिए नजदीकी शालाओं में पदस्थ्य शिक्षिकाओं इन छात्रावासों का अतिरिक्त प्रभार देकर अधीक्षिका नियुक्त किया गया। नियमानुसार इन अधीक्षिकाओं का कार्यकाल तीन साल के लिए निर्धारित किया गया है। अधिकारियों और अधीक्षिकाओं की जुगलबंदी से एक दसक बीतने के बाद भी व्यवस्था में बदलाब नहीं किया गया। जिला परियोजना समन्वयक शिक्षा केंद्र में पदस्थ्य अधिकारी की सह पर अधीक्षिकाएं (वार्डन) बर्षो से छात्रावास की मलाई खा रही है।
नियमों पर मनमानी भारी
जिला परियोजना समन्वयक की मनमानी के आगे मप्र राज्य शिक्षा केंद्र के नियम बेअसर है। अधिकारी के संरक्षण में वार्डनें अपने तरीके से छात्रावासों का संचालन कर रही है। नियमानुसार वार्डन का कार्यकाल 3 साल निर्धारित है। ऐसी महिला शिक्षिका जिसकी शाला छात्रावास से 2 किमी दूरी पर स्थित हो, सहायक शिक्षका, सहायक अध्यापिका, उच्चश्रेणी शिक्षिका या फिर अध्यापिका के पद पर कार्यरत हो, बच्चे 05 वर्ष से अधिक आयु के हो, आवेदिका आवासीय विद्यालय, छात्रावास में निवास करने सहमत हो, सक्रिय समर्पित भाव से कार्य करने वाली शिक्षिकाओं को छात्रावास का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। विभागीय सांठगाठ से अधिकांश स्थानों पर नियम विरुद्ध तरीके से वार्डनें वर्षों से अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर रही है।

जिला मुख्यालय में निवास करती है कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास की वार्डन….

राज्य शिक्षा केन्द्र के नियम बेअसर है।अधिकारी के संरक्षण में वार्डन अपने तरीकें से छात्रावास का संचालन कर रही है। जिलें में संचालित कस्तूरबा गांधी छात्रावास मुख्यालय में अधिकांश वार्डन निवासी नहीं करती है ।वो जिला मुख्यालय या आपने धर से आना जाना करती है । लेकिन निरीक्षण करने वाले अधिकारी को नहीं देखता है । इन वार्डन की लापरवाही के कारण पिछले बर्षों में बालिका छात्रावास में कई धटना हो चूकी है ।फिर भी वार्डन( अधीक्षिका) ऐसी लापरवाही कर रही है ।