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समाचार पत्रोँ में विज्ञापन देने के लिए कोचिंग सेंटरों के पास इतनी बडी मात्रा धनराशि कहा से …

समाचार पत्रोँ में विज्ञापन देने के लिए कोचिंग सेंटरों के पास इतनी बडी मात्रा धनराशि कहा से …
By admin
30 july 2024
पंचायत दिशा समाचार- देश की राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आईएएस स्टडी सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से दो छात्राओं व एक छात्र की मौत हो गई थी। राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि कोचिंग सेंटर अब गैस चैंबर में बदल गए हैं। उन्होंने इस बात की जांच करने पर भी जोर दिया कि आखिर समाचार पत्रों में विज्ञापन देने के लिए कोचिंग सेंटरों के पास इतनी बड़ी मात्रा में धनराशि कहां से आ रही है।

राज्य सभा में कोचिंग सेंटर हादसे पर चर्चा

राज्य सभा में सोमवार को दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान धनखड़ ने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज के दौर में कोचिंग वास्तव में व्यापार का जरिया बन गई है।’ उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से ऐसे संस्थानों में कमाई की जा रही है, उससे लगता है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण के मामले में कोचिंग सेंटर आगे निकल गए हैं। कहां से आ रहा है इतना पैसा?- धनखड़
राज्य सभा के सभापति ने कहा, ‘आज के दौर में ऊंची कमाई के साथ कोचिंग का व्यापार खूब फल-फूल रहा है। जब भी हम कोई अखबार पढ़ते हैं तो, इसके पहले पन्ने पर कोचिंग व्यवसाय से जुड़े विज्ञापन नजर आते हैं। विज्ञापन पर खर्च किया जाने वाले एक-एक पैसा छात्रों की तरफ से आ रहा है। कोचिंग के लिए बनाया जाने वाली हर एक बिल्डिंग को छात्रों के पैसे से तैयार किया जा रहा है।’ जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि कोचिंग की कार्य संस्कृति अब गैस चैंबर में तब्दील हो गई है। उन्होंने कहा, ‘एक देश जहां अवसर प्राप्त करने के क्षेत्र में विस्तार हो रहा है, वहां कोचिंग एक समस्या में तब्दील हो रही है। यह अब गैस चैंबर की तरह बन गई है।’

देश का भविष्य बनने के सपने लेकर यूपीएससी की तैयारी करने आए हजारों छात्रों का भविष्य कोचिंग सेंटरों और मकान मालिकों के मकड़जाल में उलझा हुआ है, जबकि सिविक एजेंसियों की मिलीभगत उनकी जान तक ले रही है। छात्रों की मौत के मामले ने उन्हें अंदर तक हिला दिया है।

दिल्ली में छात्र आक्रोशित व गम में डूबे होने के साथ भविष्य को लेकर अनिश्चित दिखे। यहां कोचिंग सेंटरों में तैयारी की फीस डेढ़ से दो लाख रुपये तक है। जबकि, रहने के लिए एक-एक कमरे का किराया 20 हजार रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक महीना है। ऐसे में एक-एक छात्र का खर्च प्रति वर्ष चार से आठ लाख रुपये होता है।

किराये के नाम पर हो रही लूट

छात्रों का दर्द है कि कोचिंग फीस, लाइब्रेरी शुल्क और कमरे के किराये के नाम पर उनके साथ हो रही इस लूट को देखने वाला कोई नहीं है। क्योंकि वह दिल्ली के निवासी नहीं है। वह वोट बैंक नहीं हैं। बल्कि, बदले में उन्हें खतरे में जिंदगी मिल रही है। यह यहां पढ़ रहे हजारों छात्रों का दर्द है, जो खुलकर बाहर आ रहा है।