जनजाति विभाग की लापरवाही 5 साल पूर्व बंद हुए अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम में बिना पढ़ाई मजे कर रहे थे 5 शिक्षक
जनजातीय कार्यविभाग के मंडल संयोजक रवि कनौजिया की दयादृष्टि से पाँच सालों से बंद छात्रावास में मजे करते रहें थे शिक्षक..
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
दिनांक-22/07/2024
पंचायत दिशा समाचार (छिंदवाड़ा) – छिदंवाडा जिलें में संचालित होने वाला जनजातीय कार्यविभाग इन दिनों अधिकारी/ कर्मचारियों की कार्यप्रणाली के लिए खूब सुर्खियां बटोर रहा है। यहां ऐसे कारनामे होते हैं ।जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। पिछले बर्षों से बंद हुयें अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम की शिकायत के बाद एक मामला खुलकर समाने आया था।जंहा मंडल संयोजक एंव सहायक आयुक्त की मेहरबानी से जिला मुख्यालय में संचालित होने वाला अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम में लापरवाही की बांनगी देखने को मिली थी । जिला मुख्यालय बस स्टैंड स्थित अनुसूचित जनजाति बालाक आश्रम को बंद हुए 5 साल हो गए थे।और अधीक्षक को छोड़कर वहां पदस्थ 5 शिक्षक पिछले 5 सालों से बैठे-बिठाए पेमेंट ले रहे थे।
सूत्री का कहना है कि आज दिनांक तक ऐसे शिक्षकों से जिन्होंने शासन को चूना लगाया था उन से रिकवरी नहीं की गई।और ना ही उन्हें उनकी मूलशाला वापस नहीं किया गया। और निगरानी करने वालें मंडल संयोजक रवि कनौजिया पर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।जबकि इन शिक्षकों के पे डाटा में मंडल संयोजक के हस्ताक्षर होते थे तभी इनकी पेमेंट निकलती थी। जनजातीय कार्यविभाग आयुक्त कार्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उक्त आश्रम में अधिकांश समय सहायक आयुक्त एंव मंडल संयोजक बैठकर अपने ऑफिस का काम किया करते थे। मगर उनके जहन में यह ख्याल एक बार भी नहीं आया कि यहां पर पदस्थ शिक्षकों को किसी शिक्षक विहीन शाला में पदस्थ किया जाए।
पांच सालों से लगातार सभी शिक्षकों की तनखा समय पर विभाग द्वारा दी जा रही थी। जबकि हर माह विभागीय मुख्यालय में वेतन पत्रक जमा कराया जाता है जिसमें उपस्थिति पंजी सहित संस्था प्रमुख और मंडल संयोजक के हस्ताक्षर होते हैं फिर भी विभाग के वरिष्ठ आंख मूंदकर बैठे हुए थे और आज तक ऐसे दोषी शिक्षक और मंडल संयोजक पर कोई कार्यवाही ना होने से जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में भ्रष्टाचार फलफूल रहा है?
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