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जरा देख लीजिए साहब ! जान की बाजी लगाकर पढ़ने को मजबूर है आदिवासी समाज के बच्चे…?

जरा देख लीजिए साहब ! जान की बाजी लगाकर पढ़ने को मजबूर है आदिवासी समाज के बच्चे…

जर्जर छत के नीचे दहशत के साए में चल रही आश्रम शाला…

पंचायत दिशा समाचार

रिपोर्ट-ठा रामकुमार राजपूत
दिनांक-26/07/2025

छिंदवाड़ा / मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के जनजातीय विभाग द्वारा संचालित अबाडा आश्रम शाला में पढ़ाई के नाम पर आदिवासी समाज के छोटे बच्चों के भविष्य और जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। परासिया विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी बालक आश्रम शाला अंबाडा के भवन की हालत खस्ता हो चुकी है। आश्रम शाला किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है। आश्रम शाला भवन के नाम पर खंडहर भवन की छत सड़ चुकी है और कालम झुक गए हैं। आलम यह है कि हाथ लगाने मात्र से छत का मलबा ढह जाता है। बावजूद इसके जर्जर हो चुके भवन में ही आश्रम शाला का संचालन किया जा रहा है।

आश्रम शाला में बैठकर पढ़ रहे बच्चे….

स्कूल चलें हम…सब पढ़ें-सब बढ़ें और सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती तस्वीर आश्रम शाला अंबाडा की है। यहां इलाके के गरीब आदिवासी नन्हे-मुन्ने छात्र जर्जर हो चुके छत के नीचे दहशत के साए में पढ़ने एंव रहने को मजबूर हैं। कहने को तो आश्रम शाला में कई कमरे हैं, लेकिन पूरे आश्रम शाला के कमरे की छत कभी भी गिर जाती है, एक कमरें में ही रात में छात्रों को रखते है और बरामदे की भी हालत खराब है, आश्रम शाला में जहां पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को रहने एवं पढ़ने की यंहा व्यवस्था होती है जहां इन छात्रों को यहां रखकर पढ़ाया जाता है।

आश्रम शाला में पदस्थ शिक्षिका बबीता मरकाम मेडम बताती हैं कि आश्रम शाला भवन की दुर्दशा को लेकर वे साल 2020 से लगातार जनजातीय विभाग के सहायक आयुक्त को पत्राचार कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है। और शिक्षकों का यह भी कहना है कि आश्रम शाला भवन किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है।

वहीं, आदिवासी समाज के अभिभावकों का कहना है कि साहब हम गरीब नहीं रहते तो अपने बच्चों का जीवन खतरे में क्यों डालते और ऐसे भवन में क्यों रहने देते हम विवाश है इसलिए ऐसे आश्रम शाला में बच्चों को रखकर उनकी पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन साहब चिंता तो हमें भी बनी रहती है कि कोई घटना ना हमारे बच्चों के साथ घट जाए, साहब हम गरीबों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होने की वजह से न चाहते हुए भी हम अपने बच्चों को खंडहर हो चुके आश्रम शाला में रहने को भेजे हैं।
जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम से जब इस मामले को लेकर बात की गई तो साहब कहते है अभी आश्रम शाला भवन की मरम्मत कार्य कराए हैं ,लेकिन जब हमारे द्वारा आश्रम शाला भवन की तस्वीरें दिखाई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

आश्रम शाला भवन मरम्मत के नाम पर लाखों का घोटाला…

वहीं सूत्रों की जानकारी के अनुसार जनजाति कार्य विभाग के द्वारा अंबाला आश्रम शाला मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए की राशि भवनों के मरम्मत के नाम पर निकली जा चूकि है लेकिन ठेकेदार द्वारा काम नहीं किया गया इसीलिए आश्रम शाला भवन अंबाडा सिर्फ खंडार में तब्दील होते देख रही है यंहा पर मरम्मत का कोई भी काम नहीं हुआ है. सिर्फ पुताई कर दी गई है. वही आदिवासी समाज के लोगों ने भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते हुए जनजातीय विभाग एंव प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।

जनजाति कार्य विभाग में छात्रावास की मरम्मत के नाम पर करोड़ों का बजट….
जिलें में संचालित छात्रावास एवं आश्रम शाला की मरम्मत के लिए हर साल करोड रुपए की राशि जनजाति कार्य विभाग के खाते में आ रही है और हर साल छात्रावास आश्रम शालाओं की मरम्मत के लिए निविदा निकल जाती है और ठेकेदार को भी छात्रावास मरम्मत के बिल निकलते जाते है लेकिन बता नहीं साहब कौन से छात्रावास एवं आश्रम शाला की मरम्मत करते हैं ये आज तक समझ नहीं आता है…!सूत्रों की जानकारी के अनुसार कई ऐसे भवन जो अभी दो साल पहले ही बनकर तैयार हुए हैं उनके नाम से भी 5 लाख से लेकर 10 लाख तक की मरम्मत की राशि निकली गई है तो समझ सकते हो कि छात्रावासों की कैसी मरम्मत होती होगी…?