गरीब आदिवासी बच्चों की थाली में सेंधमारी,
परतापुर छात्रावास के अधीक्षक रविशंकर डेहरिया ने 170919की राशि का किया गबन…
आदिवासी बच्चों के भोजन व्यवस्था के लिए आई राशि में हेराफेरी…
छात्रावास अधीक्षक रविशंकर डेहरिया ने चेक क्रमांक 404327 द्वारा राशि 136071.00राशि का नगद आहरित की गई
बिना बिल के पेयजल हेतु आई राशि आहरित की है…..
परतापुर छात्रावास में लाखों का गबन फिर भी अधीक्षक पर नहीं हुई है एफआरआई…?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा/जिलें में संचालित हो रहे छात्रावास /आश्रम में इन दिनों अधीक्षक आदिवासी छात्रों के भोजन में भी डांका डाल रहे है ऐसा ही मामला हर्रई विकास खंड के परतापुर आदिवासी बालक छात्रावास में विभागीय जाँच होने के बाद समाने आया है लेकिन आज दिनांक तक दोषी अधीक्षक रविशंकर डेहरिया के खिलाफ न ही पुलिस में शिकायत की गई है न ही उसे छात्रावास से अधीक्षक के पद से हटाया गया है जबकि 06.05.2025 द्वारा तीन सदस्यीय दल द्वारा अभिलेखों के परीक्षण उपरांत दिनांक 23.05.2025 को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर लेख किया गया की अधीक्षक के द्वारा जनवरी से मार्च तक की राशि 351771 का आहरण किया गया जबकि टेबलेट के आधार पर व्यय 180851.40 पैसे होता है लेकिन अधीक्षक रविशंकर डेहरिया के द्वारा बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति लियें राशि 170919 का अधिक आहरण कर राशि को डंकार गया जबकि छात्रावास अधीक्षक ने 136071 की राशि नगद आहरित की थी जिसके लिए छात्रावास अधीक्षक अधिकृत नहीं होता है जिसके बाद भी फर्जी तरीके से राशि निकली गई है…

दुसरा मामला…
बिना बिल के पेयजल की राशि में भी डांका…
इस प्रकार परतापुर अधीक्षक के द्वारा बिना बिल के पेयजल की राशि 9000की जो 24 दिसंबर को पेयजल के लिए जमा हुई थी, अधीक्षक रविशंकर डेहरिया ने बिना बिल के चेक क्रमांक-404325 से निकल लिए ऐसे और भी मदों से छात्रावास अधीक्षक के द्वारा फर्जी तरीके से राशि का आहरण किया गया है लेकिन आज दिनांक तक कार्यालय सहायक आयुक्त जनजाति कार्यक्रम द्वारा छात्रावास अधीक्षक पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई ना ही छात्रावास अधीक्षक को निलंबित किया गया है..
कार्यालय जनजाति विभाग पर उठ रहे सवाल…?
हर्रई विकासखंड के परतापुर आदिवासी बालक छात्रावास में लाखों रुपए का गबन होने के बाद भी सहायक आयुक्त कार्यालय के द्वारा आज तक अधीक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं करना कई सवालों को पैदा करता है आखिरकार किसके दबाव पर अधीक्षक रविशंकर डेहरिया को निलंबित नहीं किया जा रहा है न ही उसे पर एफआईआर दर्ज की जा रही है..जबकि विभाग द्वारा जो जांच दल बनाया गया था उसमें जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट गवन का उल्लेख किया गया है कि छात्रावास अधीक्षक रविशंकर डेहरिया के द्वारा फर्जी तरीके से राशि का आहरण किया गया है और अधीक्षक के द्वारा लाखों की हेरा फेरी की गई है… उसके बाद भी आज दिनांक तक कार्यालय सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है…

सांकेतिक चित्र
छात्रावासों में रह रहे आदिवासी बच्चों के निवाले पर जिम्मेदार लगातार सेंध…
छात्रावासों में रह रहे आदिवासी बच्चों के निवाले पर जिम्मेदार लगातार सेंध लगा रहे हैं। बच्चों के हक का अनाज और पैसा अफसरों और अधीक्षकों की जेब भर रहा है।
छात्रावासों में प्रति छात्र 1650 रुपए की शिष्यवृत्ति आती है। इसमें से कुछ रुपए अधीक्षक के पास बच्चों के भोजन और जरूरतों के लिए जाते हैं, जबकि बाकी रुपए सामग्री खरीद के नाम पर जिला कार्यालय रोक लेता है। इन्हीं रुपए प्रति छात्र की राशि में सबसे बड़ा खेल होता है।
शिक्षक नेता-जनप्रतिनिधियों के पास सिफारिशें.से बन रहे छात्रावास एवं आश्रमों में अधीक्षक…?
सूत्रों की जानकारी के अनुसार जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रमों में अधीक्षक बनने के लिए शिक्षक नेता-जनप्रतिनिधियों के पास सिफारिशें लेकर जाते हैं और मोटी रकम भी खर्च करते हैं। ऐसे में इनका मकसद बच्चों की देखभाल नहीं, शिष्यवृत्ति की मलाई काटना होता है। लाखों का चढ़ावा चढ़ाने के बाद अधीक्षक का पद मिलता है और जितना खर्च करते हैं उससे ज्यादा निकालने के लिए बंदरबांट किया जाता है। अफसरों से भी अधीक्षकों को खुली छूट मिलती है….
जांच प्रतिवेदन में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं…?
परतापुर छात्रावास में अधीक्षक के द्वारा लाखों रुपए की राशि का गबन किया गया है जो जांच प्रतिवेदन में प्रथम दृष्टया सिद्ध होता है फिर भी सहायक आयुक्त ने ऐसे दोषी अधीक्षक को अभी तक न ही निलबिंत किया है न ही ऐसे दोषी अधीक्षक पर एफआरआई की गई है जबकि जांच में कर्मचारी प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए, जिन पर एफआईआर दर्ज करवाई जानी चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि क्या लाखों का गबन करने वाला जिम्मेदार अधीक्षक बच जाएंगे? क्या इस भ्रष्टाचार के असली सूत्रधारों पर भी कार्रवाई होगी? सरकार अगर वाकई आदिवासी बच्चों के पेट में निवाला और शिष्यवृत्ति पहुंचाना चाहती है तो इस पूरे सिस्टम की सफाई जरूरी है। वरना ऐसे मामले बार-बार सामने आते रहेंगे और बच्चों का हक अफसरों की थाली में जाता रहेगा…
स्पेशल रिपोर्ट..
ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284
अगले अंक में देखे छात्रावास /आश्रम शाला मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल के नाम से कैसे हो रहा भुगतान..







