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जनजाति कार्य विभाग के अधीक्षक….बच्चों को पढ़ाई करने की जगह, पार्टी विशेष के लिए रखते है…?

आखिर शिक्षक कमलेश बरसिया को लछुआ से अधीक्षक के पद से क्यों दूसरे जिले में किया गया था स्थानांतरण…?

पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा – मध्य प्रदेश के जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में इन दिनों ऐसे शिक्षक की नियुक्ति हो रही है जो किसी विशेष पार्टी से संबंध रखते हैं ऐसे शिक्षक को ही इन दिनों अधीक्षक बनाया जा रहा है छात्रावास में सबसे बड़े समस्या अधीक्षक की है जो आमतौर पर पार्टी विशेष की विचारधारा से जुड़े लोग होते हैं इसके बाद छात्रों के साथ गंदा खेल शुरू होता है.. छात्रावास अधीक्षक इन आदिवासी समाज के बच्चों को न समय पर भोजन देते हैं ना स्वच्छ पानी और ना ही मूलभूत सुविधा..
सरकार से सवाल..!
मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी समाज के हितेषी बताने से चूक नहीं रही है वहीं जनजातीय विभाग के मंत्री ने पिछले वर्ष कहा था कि अब हर छात्रावासों में स्थाई अधीक्षक की नियुक्ति होगी, लेकिन आज तक मध्यप्रदेश सरकार ने छात्रावासों में स्थाई अधीक्षक की व्यवस्था नहीं की है आखिर सरकार इन छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है.मध्यप्रदेश सरकार दलित पिछड़े अल्पसंख्यक छात्रावासों का ऑडिट क्यों नहीं कर रही है, जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में कही भी फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम है..

आखिर कमलेश बरसिया को तीसरी बार क्यों बनाया गया अधीक्षक..?

सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास लछुआ में जब कमलेश बरसिया अधीक्षक थे तो पार्टी विशेष का काम करने की शिकायत के कारण उन्हें छिंदवाड़ा से बैतूल किया गया था स्थानांतरण..

कमलेश बरसिया इससे पहले भी कई बरसों तक जनजातीय विभाग के छात्रावास में आपनी मूल शाला सालढाना से हटकर अधीक्षक रह चूके है अमरवाड़ा के पेटदेवरी में अधीक्षक रहते हुए भी लापरवाही के कारण वहां से हटाए गए बाद में लछुआ सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास में अधीक्षक का प्रभार दिया गया था लेकिन पार्टी विशेष के लिए काम करने की शिकायत होने के कारण उन्हें छिंदवाड़ा जिले से बैतूल जिला स्थानांतरण किया गया था लेकिन फिर नेतागिरी करते हुए छिंदवाड़ा जिलें में वापस आ गयें और उनकी जॉइनिंग तामिया के बम्हनी में हुई लेकिन नेतागिरी करने वाला शिक्षक कैसे स्कूल में पढ़ने जा सकता है उन्होंने फिर कुछ नेतागिरी करने वाले एक अधीक्षक से मिलकर सहायक आयुक्त से सेटिंग करके उसे पुन: आदिवासी सीनियर बालक छात्रावास रमाकोना (सौसर )के छात्रावास में अटैचमेंट करके अधीक्षक बना दिया गया है… यदि ऐसे अधीक्षक रहेंगे तो कैसे सुरक्षित रह सकते है आदिवासी समाज के बच्चे..!

जिले के छात्रावासों में गवा चुके हैं कई आदिवासी बच्चे अपनी जान…!

कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति.. आखिर कब तक..?

जी हाँ हम बात कर रहे है जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रम शालाओं की जहां आज तक कई आदिवासी छात्र /छात्राओं ने आपनी जान इन्हीं छात्रावास एवं आश्रम शाला में रहते हुई गवा चुके हैं लेकिन आज तक जिम्मेदार अधीक्षक एवं कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और नहीं विभाग ने इन घटनाओं से कोई सबक लिया है ….

आदिवासी बच्चों ने अपनी जान गवा चुके हैं जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में लेकिन विभाग के सहायक आयुक्त बेसुध –

छिदंवाडा जिले के जनजातीय कार्यविभाग में भ्रष्टाचार करने वाले कुछ अधीक्षक के हाथों में आदिवासी समाज के बच्चो का भबिष्य ?

आखिर कब तक पैसे एंव नेताओं की चापलूसी करके आदिवासी समाज के बच्चों का करते रहेगा शोषण।
जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास/ आश्रम शालाओं में दर्जनों धटना आखिर किसकी लापरवाही?

धटना-1

छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले छात्र की संदिग्ध मौत, पुलिस कर रही जांच
बालक छात्रावास सोनपुर अमरवाडा में अचानक तबियत बिगड़ने से 11 वीं के छात्र की मौत हो गई।
तबियत खराब होने की सूचना जब छात्रावास प्रबंधन को हुई तो छात्र को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। लेकिन आज तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं


धटना-2

अमरवाडा की अधीक्षिका ने जनजातीय कार्यविभाग में आकर सहायक आयुक्त के साथ बदसलूकी किया ऐसा सहायक आयुक्त महोदय ने खुद कहा और थाने में रिपोर्ट दर्ज किया लेकिन फिर क्या हुआ कि सहायक आयुक्त महोदय ने फिर से उन्हें अधीक्षक के पद पर पदस्थ कर दिया? मतलब साफ है कि क्या ए.सी साहब झूठ बोल रह थे कि उनके साथ अधीक्षिका ने बदसलूकी किया था!

धटना-3

आदिवासी कन्या छात्रावास में नाबालिग ने फांसी लगाकर की आत्महत्या। नाश्ते के बाद जब खाना खाने के लिए बुलाने पहुंचे तो पंखे से टंगी मिली लाश, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे, पुलिस जुटी जांच में।
छिंदवाड़ा शहर के नरसिंहपुर नाका धरमटेकड़ी पुलिस चौकी के पीछे स्थित शासकीय कन्या शिक्षा परिसर में उस समय हडक़ंप मच गया था जब संयुक्त सीनियर कन्या छात्रावास में नाबालिग छात्रा ने अपनी चुनरी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी

सुबह सात बजे नाश्ता करने के बाद जब खाना खाने की पूछने के लिए पहली मंजिल स्थित हॉल में पहुंचे तो छात्रा का शव फंदे पर लटका मिला था। इस घटना की सूचना छात्रावास अधीक्षक तथा आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त को दी गई। सूचना पर पुलिस व आला प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने अधिकारियों व परिजनों के सामने छात्रा का शव फंदे से नीचे उतारा तथा पीएम के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। पीएम रिपोर्ट के बाद मौत का कारण स्पष्ट हुआ या नहीं ये समय के साथ सब लोग भूल गयें लेकिन जान तो एक आदिवासी समाज की बच्चों की चली गई..?

धटना-4

छात्रावास में नकाबपोश युवक ने 9वीं के छात्र पर किया जानलेवा हमला

छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड के परतापुर स्थित आदिवासी आश्रम में 15 अगस्त की शाम एक छात्र पर अज्ञात नकाबपोश युवक ने हमला कर दिया। पुलिस ने बताया कि 14 वर्षीय छात्र कक्षा 9वी में पढ़ता है। देर शाम को आश्रम के पीछे बने टॉयलेट से लौट रहा था। तभी पीछे से एक युवक ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। उसने पीछे देखा तो हमलावर के मुंह पर रूमाल बंधा था। छात्र तुरंत वहां से भाग गया और तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

धटना-5

जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित आदिवासी बालक आश्रम बटकाखापा में भी कुछ वर्ष पहले एक छात्र की मौत हो गई थी ।जिसके बाद अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन फिर वही अधीक्षक आज जिला मुख्यालय में मस्त मजे से अधीक्षक का पद संभल रहा है.. जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर पूरे केस को समाप्त कर दिया गया…

धटना-6

जनजाति कार्य विभाग के हॉस्टल में बड़ी लापरवाही,
स्कूल टाइम में बच्चों से करवाया जाता है साफ-सफाई का काम…
सरकारी कामकाज में आए दिन बहुत सारी गलतियां देखने को मिल रही हैं।जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास की अनियमितता खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकारी स्कूलों और आदिवासी बालक आश्रम शालाओं की हालत लगभग एक जैसी हो चुकी है।. हर जगह से बच्चों से काम करवाने की खबरें आ रही हैं। पिछले वर्ष पहले भी ऐसा मामला जिला मुख्यालय मानसरोवर आदिवासी बालक आश्रम का सामने आया है, जहां आदिवासी आश्रम में छोटे-छोटे आदिवासी बच्चों के हाथों से छात्रावास में झाड़ू लगवाया जाता है. बच्चों ने छात्रावास से जुड़ी अनियमितताओं के बारे में खुद बताया।

धटना-7

परासिया के अनुसूचित जाति जनजाति छात्रावास में एक नाबालिक बच्चों की कुएं में डूबने से मौत हो गई, उसके बाद अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया था लेकिन अधीक्षक ने हाई कोर्ट से स्टे लाकर आज भी बड़े मजे से वहां नौकरी कर रहा है, ऐसा एक मामला नहीं है इन दिनों जनजातीय विभाग में ऐसा ही चल रहा है यदि किसी को छात्रावास से हटाते हैं या निलंबित करते हैं तो वह हाई कोर्ट की शरण में जाकर स्टो लेकर आ जाता है और सहायक आयुक्त के आदेश को चैलेंज कर देता है..!