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नेताओं की चापलूसी एवं पैसे के बल से 15 से 20 साल से हर्रई में पदस्थ है बीईओ प्रकाश कंलबे…

नेताओं की चापलूसी एवं पैसे के बल से 15 से 20 साल से हर्रई में पदस्थ है प्रकाश कंलबे…

छिंदवाड़ा/ जिले के हर्रई विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद में 15 से 20 सालों से हर्रई में जमे बीईओ प्रकाश कंलबे का ट्रांसफर 15 सालों से नही हुआ है जिस का कारण है बीईओ नेताओं की चपलासी एंव पैसे के बल पर हर्रई में विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद में पदस्थ है इसके पीछे की असली वजह… नेताओं की चापलूसी…!

हर्रई में वर्षों से जमे बीईओ प्रकाश कंलबे का ट्रांसफर नही हुआ है

जिले के हर्रई विकासखंड एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार चर्चा की वजह कुछ और नहीं बल्कि बीस सालों से एक ही जगह पदस्थ है बीईओ प्रकाश कंलबे ,जिन्हे अभी तक हर्रई से ट्रांसफर नहीं हुआ है,दरअसल विगत दिनों पहले शासन प्रशासन ने अधिकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर किया हैं लेकिन इस बार भी बीईओ प्रकाश कंलबे को हर्रई से नही हटाया गया है,नियमानुसार तीन साल से ज्यादा कोई भी अधिकारी एक जगह में तीन साल से ज्यादा नही रह सकते है लेकिन अफसोस बहुत से अधिकारी कर्मचारी नेताओं की चापलूसी एवं पैसे के बल पर एक ही जगह पर पदस्थ रहकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं और तबादला नीति को नियम को ढेंगा दिखाकर अभी मोहवश उसी स्थान पर डटे हैं सवाल बड़ा है—आखिर ऐसा क्या विशेष है यहां के शिक्षा विभाग में कि जिनका स्थानांतरण आज तक नहीं हुआ है , बीईओ प्रकाश कंलबे यहां से हटने को तैयार नहीं? शासन द्वारा इन्हे क्यों नही हटा रहे है, बीईओ प्रकाश कंलबे यंहा से “टस से मस” नहीं हो रहे। यह स्थिति न केवल शासकीय आदेशों की अवहेलना का संकेत है, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।

वर्षों से जमे हैं बीईओ प्रकाश कंलबे , अब भी हटने को नहीं तैयार…

सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग हर्रई में कार्यरत बीईओ प्रकाश कलंबे वर्षों से हर्रई मुख्यालय में पदस्थ हैं। ट्रांसफर आखिर क्यों नही रहा है , राजनैतिक या प्रशासनिक संरक्षण के माध्यम से स्वयं को यहीं बनाए रखने में सफल हो रहे हैं।इसी क्रम में बरसों से बीईओ के पद में सेवा दें रहें प्रकाश कंलबे का ट्रांसफर नही होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है आखिर बीईओ को आज तक क्यों नहीं हटाया गयें है , बीईओ प्रकाश कंबले का आखिर ट्रांसफर क्यों नहीं हो रहा है आमजन में आश्चर्य एवं संदेह दोनों हैं। आखिर ऐसा क्या आकर्षण है इस जनपद के शिक्षा विभाग में कि यहाँ से बीईओ प्रकाश कंलबे यंहा से क्यों नहीं चाहते है ? जनचर्चाओं में यह विषय तीव्रता से उठ रहा है कि जब तक शिक्षा विभाग में प्रकाश कंलबे है जमे हुए और इन्हे यंहा से हटाए नही जाएंगे, तब तक न तो कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और न ही शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार संभव होगा।

प्रशासनिक लचरता और चाटुकारिता की जड़ें

हर्रई विकासखंड के निवासियों का यह भी मानना है कि नेताओं एंव विभाग में बैठे कुछ लोगों को विशेष संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि वर्षों से एक ही स्थान पर टिके रहने के बावजूद, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। और बीईओ प्रकाश कंलबे को हर्रई से नहीं हटाया गया है!
चाटुकारिता का आलम यह है कि बरसो से प्रकाश कंबले भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं लेकिन इन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इससे स्पष्ट होता है कि जनजातीय विभाग विभागीय भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं और अनुशासन एवं वरिष्ठता का कोई महत्व नहीं बचा है।

भ्रष्टाचार की आहट:

जनजातीय विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह है जब तो बीस बीस सालों से अधिकारी कर्मचारी एक ही जगह पर पदस्थ है और इन्हें हटाया नहीं जा रहा है, सूत्रों की जानकारी अनुसार ऐसे कई मामलों में जिसमें बीईओ कार्यालय में फर्जी बिलों के द्वारा लाखों की हेराफेरी की गई है, हर्रई विकासखंड में इनके बिना कोई भी शिक्षकों की नियुक्ति हो उनको अटैचमेंट या ट्रांसफर सब उनकी ही मर्जी से होता है जिसके लिए चढ़ावा लिया जाता है यह कम बरसों से यहां चल रहा है । यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो इन मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है। कुछ ऐसे गंभीर अनियमितता वाले उदाहरण हैं जो सीधे-सीधे सेवा समाप्ति एवं आपराधिक प्रकरणों तक ले जा सकते हैं।

जनता का सवाल—क्यों हो रहा है संरक्षण?

सवाल केवल पदस्थ लोगों का नहीं है, सवाल उनके संरक्षकों का भी है। वे कौन लोग हैं जो ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देकर शिक्षा व्यवस्था को गर्त में धकेल रहे हैं? यह समझना जरूरी है कि शिक्षा विभाग केवल एक शासकीय तंत्र नहीं है—यह क्षेत्र के बच्चों के भविष्य का आधार है। यहां पढ़ने वाले बच्चे किसी बाहरी जिले से नहीं आते, बल्कि वे आपके—संरक्षकों के ही—सगे-संबंधी, परिचित और पड़ोसी हैं। और यंहा पढाई करने वाले आदिवासी बच्चों का भबिष्य अंधकार में है

कलेक्टर को दिखानी होगी गंभीरता

यदि वास्तव में शिक्षा के स्तर को हर्रई विकासखंड में ऊंचा उठाना हैं, तो सबसे पहले ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को यंहा से हटाना चाहिए जो विभाग में ‘अंगद के पैर’ की तरह जमे हुए हैं। शासन को चाहिए कि वह न केवल स्थानांतरण के आदेश को लागू कराए, बल्कि संबंधित अधिकारी को तत्काल यंहा से ट्रांसफर करना चाहिए और उनके कार्यकाल में हुए कामों की जांच करना चाहिए, जिले के कलेक्टर को स्वयं इस विषय में हस्तक्षेप करते हुए ऐसे अधिकारी जो बीस सालों से एक ही जगह पर पदस्थ है, जनहित में पारदर्शिता स्थापित करनी चाहिए।

शिक्षा व्यवस्था को पुनः दिशा देने की आवश्यकता

हर्रई आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति पहले से ही संतोषजनक नहीं रही है। ऐसे में यदि वर्षों से जमे अधिकारी-कर्मचारी अपने हितों की पूर्ति के लिए प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी करते रहेंगे, तो आने वाली पीढ़ी को केवल प्रमाण-पत्र मिलेंगे, ज्ञान नहीं।

इसलिए आवश्यकता है कि न केवल इन मामलों की जांच हो, बल्कि विभागीय तंत्र को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए जाएं। ऐसे लोग जो शिक्षा विभाग को निजी व्यवसाय की तरह चला रहे हैं, उन्हें चिन्हित कर प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। में वर्षों से जमे बीईओ प्रकाश कंलबे की ट्रांसफर आखिर कब होगा बाद , और इन्हे किस का संरक्षण मिल रहा है,और इसके पीछे की असली वजह क्या है..!

हर्रई विकासखंड शिक्षा कार्यालय में लाखों का घोटाला

हर्रई विकासखंड में वर्षों से जमे बीईओ प्रकाश कंलबे के विगत महीने पहले भी लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया था लेकिन उसमें भी पैसे एवं अधिकारियों की मिलीभगत से इस मामले को दबा दिया गया है जबकि कुछ बाबू एवं शिक्षक को निलंबित किया गया है आखिर प्रकाश कलंबे पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई..?

रिपोर्ट -ठाकुर रामकुमार राजपूत

मोबाइल नंबर 8989115284