असुविधाओं के बीच संचालित छात्रावास, रात्रि में नहीं रहते अधीक्षक
सुरक्षा एंव भोजन/नाश्ता में भी लापरवाही…
छिंदवाड़ा / जनजाति कार्य विभाग की ओर से संचालित छात्रावासों में अधीक्षकों की लापरवाही बढ़ती जा रही है।छात्र- छात्रों/ की सुरक्षा और भोजन/ नाश्ता की कमी देखने को मिल रही है। जिलें के अधिकाशं छात्रावास में छात्र बगैर अधीक्षका के रात्रि में रहने का मजबूर हो रहे है। जहां रात्रि में छात्रों को कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है। उसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शासन के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जनजाति कार्य विभाग आदिवासी समाज के परिवारों के बच्चों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा उन योजनाओं का संचालन प्राथमिकता से नहीं किया जा रहा है। पांढुर्ना जिलें के रायवासा गांव में संचालित छात्रावास असुविधाओं के बीच संचालित है। रात्रि के समय यंहा महिला अधीक्षक पांढुर्ना आपने घर चले जाते है। और चपरासी के भरोसे छात्रावास रहता है, चपरासी भी कभी कभी रात्रि में नही रहता है, जबकि यंहा पर कक्षा 6 से 8कक्षा के बच्चे रहते है
पांढुर्ना विकासखंड में आने वाला ग्राम रायवासा में संचालित शासकीय आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास भगवान भरोसे चल रहा है। वहां पदस्थ अधीक्षक की मनमानी चरम पर है। रायवासा और पांढुर्ना की दूरी बीस किमी है सूत्रों के अनुसार यंहा पदस्थ अधीक्षक कभी कभार ही आती जाती है।और दो चार धंटे रुक कर चली जाती है..
जबकि शासन के ऐसे नियम है कि जहां पर बालक या बालिका छात्रावास स्थापित है, वहां पर शिक्षक का रहना जरूरी होता है। जिससे दिन और रात्रि में छात्रों की समस्याओं का समाधान हो सके। लेकिन यहां के अधीक्षक सप्ताह में एक दो दिन ही आते है।

कन्या छात्रावास पाठई में भी नहीं रहती रात्रि में अधीक्षिका…
जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित कन्या छात्रावास पाठई की स्थिति काफी बदहाल है, यहां पर अध्यनरत छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, क्योंकि यंहा पर छात्रावास अधीक्षिका कभी कभार ही छात्रावास में आती जाती है और कभी भी रात्रि में यंहा निवास नहीं करती है यंहा महिला चपरासी के भरोसे छात्राएं रहती है, जिससे छात्रों के मन में हर समय डर बना रहता है, लेकिन शिकायत होने के बाद भी ऐसे अधीक्षक/अधीक्षिका पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, छिंदवाड़ा /पांढुर्णा जिले के अधीक्षक /अधीक्षिका ने एक नए जुगाड़ ढूंढ लिया है यदि कभी कोई अधीक्षक /अधीक्षिका गलती एंव शिकायत के कारण निलंबित भी होते है तो वह सीधे कोर्ट से स्टे ले आते है और विभाग के अधिकारी के आदेश को ठेंका दिखाते नजर आते है, आखिर ऐसे दोषी अध्यक्षों ने अच्छा फार्मूला निकाला है..

आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग भोपाल के निर्देश…
आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग भोपाल ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जो अधीक्षक/अधीक्षिकाएं छात्रावास में निवास नहीं करते हैं, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। विभाग अंतर्गत संचालित आश्रम शालाओं, एवं आवासीय विद्यालयों के छात्रावासों के निरीक्षण के सम्बंध में।
संदर्भ:
- 1. मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग, मंत्रालय भोपाल का पत्र क्रमांक एफ-12-11/2006/25-2/507 दिनांक 16.03.2015
- कार्यालयीन पत्र क्रमांक एमपीसरस/778/2024/883 दिनांक 01.08.2024
- कार्यालयीन पत्र क्रमांक एमपीसरस/778/2024/921 दिनांक 07.08.2024
- कार्यालयीन पत्र क्रमांक एमपीसरस/778/2024/1092 दिनांक 02.09.2024
- कार्यालयीन पत्र क्रमांक एमपीसरस/778/2024/1296 दिनांक 19.09.2024
विषयांतर्गत लेख है कि आज दिनांक 10.02.2025 को माननीय मंत्री जी, जनजातीय कार्य विभाग, मध्यप्रदेश द्वारा शासकीय आवासीय सीनियर कन्या छात्रावास, श्यामला हिल्स, भोपाल का निरीक्षण किया गया। उक्त निरीक्षण में पाया गया कि छात्रावास अधीक्षिका छात्रावास में निवास नहीं करती है, जबकि छात्रावास संचालन के दृष्टिगल छात्रावासों में अधीक्षक एवं अधीक्षिका का निवास करना अनिवार्य है। इस हेतु समय-समय पर निर्देश भी जारी किए गए हैं किन्तु उक्त निर्देशों का पालन जिला अधिकारियों द्वारा नहीं कराया जा रहा है, जो खेदजनक है।
उपरोक्त के संदर्भ में पुनः निर्देशित किया जाता है कि समस्त छात्रावासों, आश्रम शालाओं एवं विशिष्ट विद्यालयों के छात्रावास के अधीक्षक एवं अधीक्षिकाओं का छात्रावास परिसर में निवास अनिवार्य किया जाए, इस हेतु जिला अधिकारी छात्रावास अधीक्षकों का रात्रि विश्राम की सतत् मॉनिटरिंग करें एवं जो अधीक्षक/अधीक्षिकाएं छात्रावास में निवास नहीं करते हैं, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। जिला अधिकारी उपरोक्त कार्यवाही का एवं पूर्व में जारी किए गए निर्देशों का पालन प्रतिवेदन प्रत्येक माह की 15 तारीख तक मुख्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा /पांढुर्णा के अधिकारी नहीं करते मॉनिटरिंग…
जनजाति कार्य विभाग भोपाल के निर्देश मिलने के बाद भी छिंदवाड़ा जिले में बैठे अधिकारी कभी भी छात्रावासों के निरीक्षण नहीं करते जिसके कारण छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक/आधीक्षिका कभी भी छात्रावास में निवास नहीं करते है,वो जिला मुख्यालय या बाहर से आना जाना करते है, लेकिन जिलें में पदस्थ सहायक आयुक्त, क्षेत्र संयोजक, मंडल संयोजक कभी इन छात्रावासों का निरीक्षण नहीं करते जिसके कारण अधीक्षक /अधीक्षिका की इन दिनों मनमानी चरम पर है .! वही पांढुर्ना जिले के छात्रावास के निरीक्षण की जिम्मेदारी भी एक छात्रावास अधीक्षक को दे कर रखा है, यंहा पदस्थ क्षेत्र संयोजक कभी भी पांढुर्ना के छात्रावासों का निरीक्षण नही करते है, महिने में छिंदवाड़ा सभी अधीक्षक को बुला लेते हैं
सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग से जब इस बिषय में चर्चा करने की कोशिश की गई तो वह जिला कार्यालय में नहीं थे, क्योंकि उनके पास तीन जिलों का प्रभार है, छिंदवाड़ा, सिवनी, पांढुर्ना और दूरभाष में संपर्क नहीं हो सका…