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जनजातीय कार्य विभाग में अटैचमेंट समाप्ति का आदेश बना कमाई का जरिया… कई चपरासी अटैचमेंट पर आखिर किसकी मेहरबानी.?

जनजातीय कार्य विभाग में अटैचमेंट समाप्ति का आदेश बना कमाई का जरिया…
जिला कार्यालय में दर्जनों चपरासी अभी भी अटैचमेंट पर ….
प्रभारी सहायक आयुक्त ने अटैचमेंट पर रखा 6 से अधिक चपरासी…

शासन के अटैचमेंट समाप्ति आदेश के संदर्भ में अपने अधीन चपरासियों को जिला मुख्यालय में कर लेते हैं पदस्थ..

छिंदवाड़ा /जिले के जनजाति कार्य विभाग में शासन का संलग्नीकरण समाप्त करने संबंधी आदेश विभाग के आल अधिकारियों की कमाई का जरिया बना हुआ है। चपरासियों के अटैचमेंट की निरस्ती और फिर वहीं मनमाफिक जगह पर अटैच कर देने का खेल बीते वर्षों से चल रहा है। विभाग लगभग हर वर्ष शासन के अटैचमेंट समाप्ति आदेश के संदर्भ में अपने अधीन चपरासी कर्मचारियों का अटैचमेंट समाप्त कर देता है और बाद में सेटिंग से उन्हें वहीं संलग्न कर देता है। जहां संबंधित जाना चाहता है। बस इसके लिए उसे हर वर्ष बड़ी रकम देना पड़ती है। इसका जीता जागता प्रमाण जिला मुख्यालय के जनजाति कार्य विभाग से लेकर जिले में बैठे वे तमाम कर्मचारी, चपरासी हैं। जिनका पूरा शासकीय सेवाकाल अटैचमेंट सुविधा के बूते मनचाही जगह पर बीत गया है। दूसरा बड़ा सबूत विभाग द्वारा बीते सप्ताह जुन्नारदेव के चपरासियों को जिला मुख्यालय में अटैचमेंट पर रखना एक बड़ा सवाल है आखिर इन चपरासियों को अन्य जगह पर रिलीव क्यों नहीं किया जा रहा है। जिसमें छात्रावासों और आश्रमों में अटैच उन चपरासी को छोड़ दिया है, जिनकी हाल ही में मनमाफिक छात्रावासों आश्रमों में पोस्टिंग हुई है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि छात्रावास और आश्रम मैं चपरासियों की पोस्टिंग अभी अभी ही की गई है।

इस बार फिर प्रभारी सहायक आयुक्त ने आपने कार्यालय में 5 से 6 चपरासी के जिला मुख्यालय में अटैचमेंट में रख लिया है और उन्हें रिलीप नहीं कर रहे है, जबकि पहले भी यंहा पर एक दर्जन से अधिक चपरासी अटैचमेंट पर पदस्थ है, आखिर इतने बाबू होने के बाद भी इतने चपरासियों के क्या रखा गया है ये समझ के बाहर है
कई चपरासी साहब के यंहा कर रहे है काम उन्हें उनकी मूल पद स्थापना की जगह में आखिर क्यो नही भेंज रहे है प्रभारी सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग वर्ष 2024-25 के लिए स्थानांतरण नीति प्रसारित की गई है। जिसमें अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले से पहले समस्त संलग्नीकरण समाप्त किए जाने का उल्लेख किया गया है। विभाग ने अपने आदेश में तत्काल अधिकारियों कर्मचारियों को उनकी मूल संस्था के लिए कार्यमुक्त कर इस कार्यालय को अवगत कराने की बात कही है। लेकिन फिर भी क्यों जनजाति कार्य विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त ने रिलीव नहीं कर रहे हैं