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कौड़ियों के दाम बिक गई करोड़ों की जमीन,लुट रहा आदिवासी, लूट रहे भूमाफिया, सात साल में अरबों का खेल,जिले में प्रशासनिक तंत्र ने धड़ल्ले से जारी की अनुमतियां…

आदिवासियों की जमीन पर भू माफिया का डाका

आदिवासियों की जमीन पर भू माफिया का डाक

आदिवासियों का उत्थान सिर्फ कागजों तक सिमटा

छिंदवाड़ा -आदिवासी परिवार के लिए हर सरकार के द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जाती है इन योजनाओं के तहत उन आदिवासी परिवारों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इसका प्लान हर साल सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाता है। ऐसे ही दर्जन भर से अधिक मामले छिंदवाड़ा में सामने आ रहे हैं। जहां आदिवासी परिवारों की जमीन ओने पौने दामों में खरीद कर भू माफिया, सफेदपोश अपने मंसूबों पर कामयाब हो रहे हैं। और यह सारा खेल सरकारी विभाग के शातिर अधिकारी और कर्मचारियों के मार्फत खेला जा रहा है। जिले में लगातार पिछले कुछ सालों से आदिवासी परिवार की जमीन कम दाम में खरीद कर उसे सामान्य वर्ग में कन्वर्ट कराकर महंगी कीमत में बेचा जा रहा है। जिले में वर्तमान में सफेदपोश, भू माफिया और सरकारी तंत्र के अधिकारी कर्मचारियों ने यह एक बड़ा खेल खेलना शुरू कर दिया है। जानकारों की माने तो जिले में सर्वाधिक आदिवासी परिवार की जमीन को सामान्य वर्ग के लिए कन्वर्ट कर दिया गया। यह पूरा खेल चुपचाप खेला गया। जिसमें हजारों एकड़ की जमीन को कन्वर्ट किया गया और उसे प्लाट के रूप में बेचा जा रहा है। शातिर षड्यंत्रकारी भू माफियाओं के द्वारा कम कीमत में जमीन खरीदी जा रही है और उसे महंगे दामों में बेचकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है। भोले भाले आदिवासी परिवार मिलने वाली रकम में ही संतुष्ट रहकर अपनी जमीन को नेताओं की धमकी के कारण भू माफियाओं के माध्यम से उन्हें बेच रहे हैं। इस पूरे खेल में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी मोटा कमीशन लेकर यह काम बड़े शातिर अंदाज में करते चले आ रहे हैं। इस पूरे मामले में अस्पताल संचालक दीपक , और महेश वाधवानी सहित 1 दर्जन से अधिक भूमाफियाओं का एक सिंडिकेट सक्रिय है जिनके नाम का भी खुलासा हो चुका है

हर एकड़ पर तय है दाम –
जिले के आदिवासी परिवारों के साथ किया जा रहे हैं चल को लेकर कई बातें प्रकाश में आ चुकी है लेकिन इसके बाद भी जिले के आला अधिकारियों और नेताओं का संरक्षण भू माफिया पर बना हुआ है। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं। जिसमें नेताओं के इशारे पर आदिवासी परिवार की जमीन को कन्वर्ट कर दिया गया। इतना ही नहीं इस खेल में हर एकड़ पर दाम सरकारी तंत्र ने तय कर रखे हैं।

भूमि कन्वर्ट करने के लिए सक्रिय है दलाल –

जानकारों की माने तो आदिवासी परिवार की भूमि को सामान्य वर्ग के लिए कन्वर्ट करने के लिए पूरी तरह से भू माफियाओं ने अपना जाल बिछा रखा है। इस जाल में बाकायदा दलालों को भी सरकारी विभाग के सामने सक्रिय कर दिया गया है। यह रोजाना तहसील एसडीएम ऑफिस सहित अन्य विभागों के सामने नजर आते हैं। जिन कार्यालय में आदिवासी परिवारों का सर्वाधिक आना जाना होता है। उस दफ्तर के सामने दलाल👍 अपनापन आदिवासी परिवारों को दिखाते उन्हें अपने झांसे में लेकर उनकी भूमि को बेचने के साथ कन्वर्ट करने का काम करते चले आ रहे हैं।
रिपोर्ट रामकुमार ठाकुर

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