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क्षतिग्रस्त, खंडरनुमा आश्रम शाला भवन में गुजर बसर करने मजबूर होंगे आदिवासियों के बच्चों..?

बीस लाख से अधिक स्वीकृत, नहीं हो पाई बालक आश्रम शाला भवन अंबाडा की मरम्मत…

क्षतिग्रस्त, खंडरनुमा आश्रम भवन में गुजर बसर करने मजबूर होंगे आदिवासियों के बच्चों..?

छिदंवाडा/आदिवासी बालक आश्रम अंबाडा में आश्रम भवन की गिरती छत में कभी भी बडी दुर्धटना हो सकती है ।जबकि जनजातीय कार्यविभाग द्वारा बीस लाख रुपये से अधिक राशि मरम्मत के लिए स्वीकृति हो गई और विभाग से मिलीभगत कर ठेकेदार ने बिना मरम्मत करायें पूरी राशि निकल लिया ।तीन सालों में लाखों रूपये मरम्मत के नाम पर विभाग के अधिकारी एंव अधीक्षक की मिलीभगत से ठेकेदार को बिना मरम्मत के विभाग ने राशि निकल दिया जिसमें विभाग के इंजीनियर की भी मिलीभगत है ।आज अंबाडा बालक आश्रम शाला भवन की हालत किसी खंडहर से काम नहीं है ।यंहा भवन में खिडक़ी, दरवाजे ना पूर्ण रूप से प्लास्टर, रंग रोंगन के अभाव में खंडहर में रहने जैसी अनुभूति। यह हाल इन दिनों परासिया क्षेत्र के अंबाडा आदिवासी बालक आश्रम के बने हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसा नहीं की भवन को लेकर आवंटन में कमी की गई हो, बल्कि राशि स्वीकृत होने के बावजूद समय अवधि में काम पूरा नहीं किया गया है। और विभाग ने ठेकेदार की राशि निकल दिया।अब निर्माण एजेंसी और जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा यहां रहने वाले विद्यार्थियों को भुगताना पड़ रहा है। जिन्हें भारी अव्यवस्थाओं के बीच गुजर बसर करना पड़ रहा है। लेकिन जिले में बैठे जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त आपनी कमीशन लेकर बैठ गयें है। उन्हें आदिवासी बच्चों की कोई चिंता नहीं है। जबकि दो सालों से आदिवासी बालक आश्रम की हालात खंडार जैसी है बरसात में पूरा पानी बच्चों के ऊपर गिरता है और टॉयलेट भी सही नहीं है। भवन की छत कई भी टूट कर गिर रही है ऐसे में कभी कोई बड़ी घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी
ऐसे में विद्यार्थी कितने अच्छे से शिक्षण कार्य में मन लगा पाएंगे समझा जा सकता है।
दो सालों से चल रहा अंबाडा बालक आश्रम शाला में मरम्मत का काम
जानकारी के अनुसार 50 सीटर आदिवासी बालक आश्रम शाला में ग्रामीण इलाकों के आदिवासियों के छात्र यहां पर रहकर विद्या अध्यन करते हैं। लेकिन निर्माण ठेकेदार ने छात्रावास मरम्मत कार्य अब तक पूर्ण नहीं किया है। बताया गया कि करीब दो साल पूर्व राशि आवंटन के साथ कार्य शुरू कर दिया जाना था। लेकिन कार्य अभी भी अधूरा कार्य पड़ा हुआ है। आश्रम शाला में अध्यनरत बच्चे ऐसे स्थिति में मजबूर होकर यंहा रह रहे है। लेकिन कार्य को पूर्ण कराने जरा भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है जनजातीय कार्यविभाग
आश्रम शाला भवन अंबाडा में कभी भी हो सकती है बडी दुर्घटना…? जुगाड़ से चलाया जा रहा काम….

निर्माण ठेकेदार की लापरवाही के अलावा मनमानी भी देखने को मिल रही है। बताया गया कि जो आश्रम शाला भवन के बाथरूम टॉयलेट को ठेकेदार ने पूर्ण तारीख से तोड़ दिया है जिससे आज मजबूरी में बच्चे शौचालय के लिए बाहर जा रहे हैं लेकिन जनजाति कार्यविभाग के सहायक आयुक्त कभी आपने एसी आफिस से बाहर निकलकर नहीं देख रहे है। कि कैसे आदिवासी समाज के नन्हे मुन्ने बच्चे यहां कैसे रह रहे हैं और विभाग के इंजीनियर से ठेकेदार मिलीभगत कर राशि बिना निर्माण के निकल रहे है। विभाग ने 2 सालों से आदिवासी बच्चों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं ठेकेदार ने मरम्मत का कार्य किया या नहीं विभाग के अधिकारी ने कभी नहीं देखा है, आश्रम शाला के टीचर कि माने तो अगर जल्द काम पूर्ण नहीं किया जाए, तो आश्रम शाला भवन में रहने वालों छात्र कभी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।छात्र काफी दिक्कतों का सामना कर रहे है।
कल देखे कौन कौन से छात्रावास में पाँच पाँच लाख के फर्जी बिलों का हो गया भुगतान..!
कौन कौन है इस खेल में शामिल…?

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284