Home CITY NEWS जनजातीय कार्यविभाग का कारनामा, खरीद रहे ८३० रूपए में तकिया व कवर…

जनजातीय कार्यविभाग का कारनामा, खरीद रहे ८३० रूपए में तकिया व कवर…

जनजातीय कार्यविभाग का कारनामा, खरीद रहा ८३० रूपए में तकिया व कवर…

छात्रावास/ आश्रम शालाओं में सामान सप्लाई के नाम पर अधिक दर पर की जा रही गुणवत्ता विहीन सामानों की खरीदी..

छिदंवाडा– जनजातीय कार्यविभाग एससी एसटी छात्रों को सुविधा देने के नाम पर जमकर शासकीय मद का बंदरबांट कर रहा है। सबसे दुर्भाग्य की बात तो यह है कि ऐसे कारनामो का खुलासा होने के बाद भी कोई इस पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।

ऐसा ही एक मामला छिंदंवाडा जिले के जनजातीय कार्यविभाग में सामने आया है। यहां के सहायक आयुक्त भले ही इतनी महंगी तकिया उपयोग न करते हों, लेकिन छात्रावासों में छात्रा छात्राओं के लिए वह दो-तीन सौ रुपए नहीं बल्कि पूरे ८३० रुपए में एक तकिया व उसका कवर खरीद रहे हैं। इस तरह हजारों की संख्या में इतने महंगे दर पर घटिया स्तर का सामान खरीदी कर अधिकारी एंव ठेकेदार मालामाल हो रहे हैं और पूछे जाने पर आनजान बन रहे हैं।जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित किए जा रहे छात्रावास और आश्रमों में सामग्री पूर्ति की आड़ में बीते दो साल में विभाग ने जमकर गोलमाल किया गया है।

विभागीय अधिकारी जेम और सीएसआईडीसी से स्वीकृत दर पर सामानों की खरीदी तो करते हैं, लेकिन उस दर पर खरीदे गए सामान की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इनके द्वारा अपने चहेते सप्लायरों से गुणवत्ताहीन सामान लेकर उन्हें मनमाने दर पर भुगतान किया जाता है। आरोप है कि इस खेल में ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियों का कमीशन बंधा होता है। सूत्रों की जानकारी के अनुसार इस पूरें काम में बीसों सालों से पदस्य मंडल संयोजक ( क्षेत्रसंयोजक) की भूमिका महत्वपूर्ण है। इन महाशय ने एक लोकल ठेकेदार के साथ मिलकर जिलें भर के छात्रावास एंव आश्रम शाला में सप्लाई करा रहे है ।यदि जो अधीक्षक/ अधीक्षिका बात नहीं मन रहे है तो उन्हें हटानें का डर दिखाकर सहायक आयुक्त कार्यालय में अधीक्षक को बुलाकर चैक लिया जा रहा है अधीक्षक ने नाम ना छपाने की शर्तों पर ये बात बताई है। जिलें में पदस्य मंडल संयोजक जिसकी लापरवाही से अभी तक कई आदिवासी छात्रों की छात्रावासों में मौत हो चूकी है।लेकिन इन महाशय पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

मंडल संयोजक/ क्षेत्रसंयोजक की हर महीने अवैध बसूला..?

सूत्रों की जानकारी के अनुसार छात्रावास / आश्रम /अधीक्षक/ अधीक्षिका से सहायक आयुक्त के नाम पर हर महिनें अवैध बसूली क्षेत्र संयोजक के द्वारा की जा रही है। कहने को तो क्षेत्रसंयोजक महोदय के पास दो ब्लॉक है। लेकिन पूरे जिलें की कमान इन्हीं क्षेत्रसंयोजक महाशय के पास है । जनजातीय कार्यविभाग का कोई भी काम हो सहायक आयुक्त महोदय इनसे पूछे बिना कोई काम नहीं करते है। क्षेत्रसंयोजक महोदय सहायक आयुक्त के निवास पर सुबह /शाम देखे जा सकतें है हाजिरी लगाने जाते है!

क्षेत्रसंयोजक एंव ठेकेदारों की मिलीभगत ..

जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में मरम्मत के नाम पर इस बर्ष करोड़ों का खेल हो गया। लेकिन किसी को कोई भनक तक नहीं लगी और छात्रावासों में मरम्मत भी हो गई है।और मरम्मत करने वाले ठेकेदार को पैसा भी मिल गया । मरम्मत कब हुई छात्रावास के अधीक्षक को भी नहीं मालूम है। पैसे हमारे खातें में डालें गयें उसके बाद जिला मुख्यालय से पत्र आया कि अब इस ठेकेदार के नाम से चैक बनाकर जिला मुख्यालय भेंजे तो हम लोगों ने दे दिया। लेकिन अधीक्षकों का कहना है कि सहायक आयुक्त महोदय के आदेश आने के बाद ही हमारे द्वारा चैक दिया है ।और हमने साहब का आदेश संभल के रखा है।

जेम व सीएसआईडीसी द्वारा स्वीकृत दर पर सामान खरीदने का दावा किया। लेकिन स्वीकृत दरों और सामान के आईटमों में भी झोलझाल दिखाई दे रहा है..

जनजातीय कार्यविभाग जिस ठेकेदार से छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में रजाई, गद्दे, तकिया, सप्लाई कर रहा हैं । उसके रेट देखकर पैरों तले जमीन खिसक जायेगी । यदि इसकी जाँच हो गई तो बडा मामला समाने निकलकर आयेगा। सूत्रों की जानकारी के अनुसार जेम व सीएसआईडीसी द्वारा स्वीकृत दर पर सामान खरीदने का दावा किया तो जा रहा है। लेकिन स्वीकृत दरों और सामान के आईटमों में भी झोलझाल दिखाई दे रहा है। विभाग ने एक तकिया ५७० रुपये की दर से और २६० रुपए का एक कवर खरीदा है। विभाग ने इस दर पर जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में तकिया,गद्दे और कवर खरीदा जा रहा है। जो हजम नहीं हो रहा है। यदि विगत दो तीन सालों में खरीदी गई सामग्री की जाँच हो गई तो करोड़ों का झोलमाल निकल सकता है। अब देखना यह है कि इस मामले में कार्रवाई होती है या नहीं।

एक साइज का गद्दा और दर अलग-अलग..

जनजातीय कार्य विभाग के छात्रावास में एक ही साइज का गद्दों अलग अलग दरों पर खरीदा है। छोटे सामानों के खरीदी की बात करें तो स्वीकृत दर गोलमाल की आशंका को जन्म देता है। जेम और सीएसआईडीसी के दर में काफी अंतर दिख रहा है। गद्दे , चादर, ताकिया भी घटिया क्वालिटी के खरीदे गए हैं।

चहेते सप्लायरों से ही की जाती है खरीदी…

जनजातीय कार्य विभाग सहायक आयुक्त कार्यालय छिदंवाडा में इन दिनों बडें बडे ठेकेदारों को देख सकते है।दस/ बीस सालों से छिदंवाडा में पदस्य एक क्षेत्रसंयोजक के टेबल में.! सप्लायर सामान की सप्लाई कर पाते हैं, जो कि पहले तय हैं और अधिकारियों को मनमाना कमीशन दे पाते हैं। यही कारण है वहीं लोग ही लंबे समय से सप्लाई करते आ रहे हैं, नए सप्लायर को मौका ही नहीं दिया जाता है।

भ्रष्टाचार की नई पाठशाला जनजाति कार्य विभाग

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284