कन्या शिक्षा परिसर की छात्राएं पढ़ने की बजाय क्यों कर रही आंदोलन ?
छिंदंवाडा के अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर, छात्रावासों, आश्रमों में सरकार की सुविधाओं का नहीं मिल रहा वास्तविक लाभ…
छिंदवाड़ा-जनजातिय बाहुल्य मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डाँ मोहन यादव के राज में जनजाति वर्ग की छात्राओं को छिंदंवाडा की कुछ कन्या शिक्षा परिसरों में अत्याधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जनजाति वर्ग की कन्या शिक्षा परिसर में सरकार ने व्यापार कर लाभ कमाने के लिये दलालों और विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के हवाले कर दिया है ताकि कन्या शिक्षा परिसर के लिये आने वाले बजट में सेंधमारी करते हुये आिर्थक अनियमितता करके क्षेत्रिय नेताओं व जनप्रतिनिधियों की तिजोरी भरने का जिम्मा दे दिया गया है मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री एंव मंत्री आयोजित कार्यक्रमों में जनजातिय वर्ग की छात्राओं की शैक्षणिक उत्थान करने का बखान जरूर करते है इसके लिये लाखों करोड़ों रूपये का बजट सरकार द्वारा दिये जाने की बात भी करते है लेकिन इस बजट का कितना लाभ वास्तविक रूप में जनजातिय वर्ग की कन्याओं का मिल रहा है इसकी धरातल पर पड़ताल नहीं की जा रही है।जहां विभागीय अधिकारी कागजी घोड़े दौड़ा रहे है तो वहीं सरकार हवा-हवाई आंकड़ों पर ही खुश हो रही है। जनजातिय बाहुल्य छिंदंवाडा में अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर हो या छात्रावास या आश्रम जिन्हें जनजातिय वर्ग के बालक-बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान के लिये संचालित किया जा रहा है उनमें अधिकांश कन्या शिक्षा परिसर, छात्रावास, आश्रम वहां पर तैनात प्राचार्य, अधीक्षकों, मण्डल संयोजकों व विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के लिये दुधारू गाय बने हुये है जितना मनमर्जी चाहो दूध निचोड़ रहे है कुल मिलाकर जनजातिय वर्ग के शैक्षणिक उत्थान के नाम पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। इस मामले में जनजातिय वर्ग के जनप्रितनिधियों की कहीं न कहीं मौन स्वीकृति समाज के बच्चों के अन्याय, अत्याचार, शोषण करने की मिली हुई है।
कन्या शिक्षा परिसर की छात्रायें सुविधाएं पाने हो रही मोहताज…

छिंदंवाडा जिलें में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित कान्या शिक्षा परिसर ,छात्रावास,आश्रम शालाओं में आयें दिनों लापरवाही की खबर सुखिर्यों में बनी रहती है। आदिवासी छात्राओं के भोजन में प्रबंधन द्वारा डाका डाला जा रहा है।जिसका खामियाजा छात्राओं को भुगतना पड़ा रहा है कान्या शिक्षा परिसर में छात्राओं के लिए स्कूल के साथ छात्रावास की भी सुविधा है मगर यंहा की स्थिति दयनीय है और आदिवासी छात्रावास में भोजन व नाश्ते की उचित व्यवस्था नहीं है।छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को सरकार द्वारा पोषाहार के लिए प्रति छात्रा प्रतिमाह 700/- रुपए दिया जाता है। जिसमें दूध,गुणवत्तायुक्त पोषाहार रोटी,चावल दियें जानें का नियम है।इसके अलावा राज्य शासन द्वारा मिड डे मील योजना के तहत जो राशि प्रात्त होती है वो अलग है। जिलें के कान्या शिक्षा परिसर में कई बार भोजन में इल्ली निकलने की भी शिकायत छात्राओं के द्वारा की जा चूकी है। छात्राओं ने इसके लिए कई बार हड़ताल भी कर चूकी है लेकिन फिर भी जिलें में बैठे उच्च अधिकारी समय समय पर निरीक्षण नहीं करतें है।जिसका फायदा अधीक्षिका उठती हैं।और हेराफेरी कर लाखों कमा रही है ।
कान्या शिक्षा परिसर बिछुआ में नरक जैसी व्यवस्था में रहने को मजबूर छात्राएं…
मध्यप्रदेश सरकार ने आदिवासी छात्राओं को बुनियादी शिक्षा मिल सके इसलिए कान्या शिक्षा परिसर का संचालन किया जा रहा है। लेकिन बिछुआ में कान्या शिक्षा परिसर का संचालन तो शुरू कर दिया गया लेकिन भवन नहीं होने के कारण आज 450 छात्राओं को कैसे रखा जा रहा है। देख कर आपको भी भगवान याद आ जायेंगे। यंहा रहने वाली छात्राओं आज नरक की जिंदगी जीने को मजबूत है। उन्हें कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है ।
कान्या शिक्षा परिसर में सामग्री खरीदी में होता है फर्जीवाड़ा…
जिलें में हो रहे संचालित कान्या शिक्षा परिसर में हर साल लाखों की खरीदी होती है। जिसमें सुनियोजित तरीके से फर्जीवाड़ा किया जाता है।इसमें शासन नियम के नियमों की धज्जियां खुलें आम उडा़ई जाती है। यंहा पदस्य प्रिसिंपल और अधीक्षिका की मिलीभगत से पूरा खेल होता है। हर साल लाखों की होती है खरीदी होती है..
कान्या शिक्षा परिसर में पुस्तक एंव लैब सामग्री में खरीदी में भी फर्जी बिलों के सहारा लाखों की हेराफेरी की जाती है। हैरान करने वाली बात यह है कि इसके लिए कोई निविदा नहीं बुलाई जाती है कुछ फॉर्म से खरीदी के नाम से बिल ले लिया जाता है। और उनके नाम से भुगतना कर दिया जाता है। नियमों की धज्जियां खुलेआम उडा़ई जाती है।इसके लिए शासन के नियमों तोड़ कर शाला प्रबंधन समिति के खातें. में राशि डालकर.पालक शिक्षा संध के खातें. में राशि. डाल दी जाती है और फिर खेल चलते रहता है।