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छिदंवाडा जिले भर के जनजातीय कार्यविभाग के छात्रावासों की हालात सिर्फ काम चलाऊ…

जिले भर के जनजातीय कार्यविभाग के छात्रावासों की हालात सिर्फ काम चलाऊ…

सुविधा शुल्क लेकर अधीक्षक की होती है नियुक्ति..!

छिंदंवाडा
छिदंवाडा जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। इस कारण से यहां भारी संख्या में आदिवासी छात्रावास जिले भर में अलग से बनाए गए हैं। पर जिले में ट्राइवल के छात्रावासों की हालत कभी ठीक नहीं रही है यहां पर संचालित एक सैकड़ा से अधिक छात्रावासों में छात्र-छात्राएं सुविधा संसाधन के लिए तरस रहे है। कहने को तो पूरे जिले में सेंकडों छात्रावास चल रहे हैं। किंन्तु सुविधा संसाधनों के नाम पर इन हॉस्टलों में छात्र-छात्राओं को ठगा जा रहा है।
हर्रई ,तामिया अमरवाड़ा ब्लाक में चल रहे बालक- बालिका छात्रावासों में सुविधाओं का अभाव है। सूत्रों की माने तो छात्रावासों में फर्जी छात्र संख्या दर्ज कर राशि हड़पने का सिलसिला अभी भी चल रहा है।इस पूरे खेल में छात्रावासों के अधीक्षक के अलावा ट्राइबल विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है कई बार छात्रावासों से जुड़ी शिकायत भी हुई किंतु ठोस कार्यवाही न होने से नतीजा से सिफर रहा है


दरअसल छात्र-छात्राओं को खाने-पीने की सुविधा के साथ अन्य संसाधन जुटाना के लिए जो राशि शासन मुहैया कराती है।
गौरतलब है कि जिलें के जनजातीय कार्यविभाग अंतर्गत अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय छात्रावास के. सुविधा मुहैया कराई गई है।
सूत्रों के मुताबिक छात्रावासों की हालत वर्तमान में बस से बदतर है बताया है कि शासन से जो राशि इन छात्रावासों में छात्रों की सुविधा व संसाधन के लिए आते हैं वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।
अधीक्षक बनने लगती है बोली..

जनजातीय कार्यविभाग के अंतर्गत संचालित छात्रावास में अधीक्षक बनने के लिए बोली लगती है।

विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बालिका और बालक छात्रावास को में सैकड़ो अधीक्षक कार्यरत है।इनमें से अधिकांश अधीक्षक विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर जमकर आर्थिक अनियमितताओं में लिप्त है ।
अधीक्षक बनने के लिए स्कूल के शिक्षक पहले विभाग के चक्कर लगाते है उसके बाद अधिकारियों से सांठगांठ कर छात्रावास अधीक्षक बन जाते है।

छात्रावासों में सुंध पानी, छात्रों की सुरक्षा एंव पौष्टिक भोजन का संकट….

जिले में संचालित अधिकांश छात्रावासों में सुंध पानी, पौष्टिक भोजन का संकट है इस संबंध में कई बार छात्रों ने सहायक आयुक्त एंव जिला प्रशासन से शिकायत भी की है किंतु कोई नतीजा नहीं निकला। बताया गया है कि सुंध पानी पौष्टिक भोजन के अलावा छात्रों के बिस्तरों की व्यवस्था में भी कोई सुधार नहीं है। इसके नाम पर जो बजट आता है ।वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। सूत्रों की माने तो निरीक्षण के दौरान कई बार छात्रावासों में व्याप्त अव्यवस्थाएं सामने आई हैं। किंतु कार्यवाही न होने से हॉस्टल सुविधा विहीन चल रहे हैं।

फर्जी बिलों के सहारें लाखों का खेल…

जिलें के अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रावास में फर्जी तौर पर छात्रावास में निर्माण एंव मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों की हेराफेरी का खेल चल रहा है। इस काम में अधीक्षक से लेकर जिलें में बैठे सहायक आयुक्त से लेकर विभागीय इंजीनियर का बडा खेल चल रहा है।

सहायक आयुक्त की कार्य प्रणाली पर सवाल…

मामलें में जानकारी सामने आई कि आदिवासी विभाग में जबसे सहायक आयुक्त मरकाम पदस्य हुए है तब से उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है।नई सरकार के गठन के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस पर रोक लग सकती है।देखा जाय तो हर जगह सहायक आयुक्त की मनमर्जी के कारण अधीक्षकों द्वारा अंधेरगर्दी एंव छात्रों हक पर भी डाका डालकर कमीशन खोरी किया जा रहा है। उनके हक में आने वाली भोजन में कटौती करने का सिलसिला लगभग कई छात्रावासों में सुनने को मिल रहा है।

सहायक आयुक्त हर महिनें गुपचुप तरीकें से बदल रहे है छात्रावास/आश्रम में अधीक्षक

जिलें में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम में इन दिनों कौन से शिक्षक को कब छात्रावास अधीक्षक बना दिया जाता है। और उन्हें कब हटा दिया जाता है । किसी को पता ही नहीं चल रहा है।जबकि ऐसे दर्जनों अधीक्षक है जो बीस सालों से छात्रावास में पदस्य है उन्हें नहीं हटाया गया है।और कई शिक्षक ऐसे है जो परीवीक्षा अवधि में है उन्हें भी परीवीक्षा अवधि में उनकी शाला से हटाकर अधीक्षक तक बना दिया गया है। जो जिन छात्रावास अधीक्षकों की गलती से छात्रावास में धटना हुई है ।उन्हें भी बिना जाँच के ही कुछ ही महिनें में बहाल कर दिया गया है ।सूत्रों की जानकारी अनुसार इसमें कभी सुविधा शुल्क लिया है। उसके बाद ही उनकी नियुक्ति की गई है। ऐसा ही मामला हर्रई ब्लॉक के सुरलाखापा अधीक्षक को उनकी मनमर्ची की जगह दे दिया गया है उन्हें उत्कृष्ट बालक छात्रावास हर्रई में नई पदस्थापना हो गई और सुरलाखापा अधीक्षक महोदय ने आपने वालें को एक शिक्षक को सेवा शुल्क लेकर अधीक्षक बना दिया गया है। और हर्रई के उत्कृष्ट छात्रावास में पदस्य अधीक्षक जो अभी मात्र दो महिनें पहलें ही अधीक्षक बनाया गया था ।उन्हें अब फिर शिक्षक बना दिया गया ।क्योंकि इन्होंने ने लगता है सेवा शुल्क समय पर जमा नहीं किया होगा!

तो सूत्रों का कहना गलत नहीं होगा ।क्योंकि अभी कही ट्रासफर नहीं हो रहे है लेकिन जनजातीय कार्यविभाग में सहायक आयुक्त की मेहरबानी अभी भी सेवा शुल्क जमा कराकर ये खेल चल रहा है ।जबकि हर्रई में अभी भी कई शाला शिक्षक विहीन चल रही है । इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि अंधेर नगरी चौपट राजा टका शेर भांजी टका शेर खा जा