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कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास से मोह नहीं त्याग पा रही वॉर्डन,कार्यकाल पूरा होने के बाद नहीं हटा पा रहे डीपीसी..

छात्रावासा का मोह नहीं त्याग पा रही वॉर्डन,

कार्यकाल पूरा होने के बाद नहीं हटा पा रहे डीपीसी..

नई नियुक्ति को लेकर अधिकारियों को नहीं चिंता

गुपचुप तरीकों से निकल देते है विज्ञप्ति…

जिले के कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास कपरवाडी में कई बसों से पदस्थ है वार्डन श्रीमती उईके

छिदंवाडा -जिले में कस्तूरबा और बालिका छात्रावास जिला शिक्षा केंद्र द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। कस्तूरबा गांधी और बालिका आवासीय विद्यालय से वाॅर्डनों को हटाया नहीं जा रहा है, जबकि इनका कार्यकाल कई साल पहले पूरा हो चुका है।

कार्यकाल होने के बाद नई नियुक्ति और पदस्थापना कराने के लेकर कार्रवाई नहीं की जा रही है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा इस मामले में जिला शिक्षा केंद्र को कार्रवाई करने को कहा गया, लेकिन अधिकारियों की वाॅर्डनों से कथित साठगांठ होने के चलते उन्हें नहीं हटा रहे हैं। अब यह वाॅर्डन अंगद की तरह पैर जमाए हैं। गौरतलब है कि जिले के परासिया विकासखंड की कपरवाडी में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास संचालित किए जा रहा हैं। स्कूलों में पदस्थ शिक्षिका छात्रावास के वाॅर्डन पद का प्रभार लिए हुए हैं। छात्रावास का मोह इतना है कि वह छोड़ नहीं पा रहे है। मलाइदार पद होने के चलते कई बार शिकायत होने के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया है । डीपीसी कार्यालय में पदस्थ एक अधिकारी का इनको खुला संरक्षण मिल रहा है । वहीं जब इस बिषय में जिला शिक्षा केन्द्र अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना है ।कि इन्हें हटाने के लिए नयें शिक्षिकाओं के आवेदन बुलाये गयें है । जिसें ही आवेदन आते है। इन्हें हटा दिया जायेगा। लेकिन जिला शिक्षा केंद्र की ढीले रवैये से के इन्हें आज तक नहीं हटाया गया है। ओर इस कारण नए शिक्षिकाओं को मौका भी नहीं मिल पा रहा है। जबकि नियुक्ति की प्रक्रिया में कई शिक्षिका इस पद का प्रभार लेने के लिए दावेदार हैं, लेकिन वर्तमान के वाॅर्डन इस पद का मोह नहीं छाेड़ पा रही हैं।

2006 से कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में नहीं बदली गई वार्डन..

साल 2010 में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास कपरवाडी में वार्डन नहीं बदली गई है । जबकि इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र कई बार निर्देशित कर चुका है। अन्य जिलों में इसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है। छिदंवाडा मेंं अफसराें के ढीले रवैये से यह प्रक्रिया अटकी है। स्कूलों में जाकर पढ़ाना न पड़े। इसके लिए यह शिक्षक बचते हुए नजर आ रहे हैं। साथ ही यह प्रभार का पद मलाईदार होने के कारण मोह का त्याग नहीं कर पा रहे हैं, इसमें आर्थिक बचत भी इन वाॅर्डनों को हो रही है।

वार्डन के लिए रक्षक बना बैठा है एक अधिकारी …

जिलें में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास का काम देखने वाला एक अधिकारी इनके लिए रक्षक का काम कर रहा है । दरअसल ये अधिकारी भी एक स्कूल का प्रधानपाठक के पद पर पदस्थ है । लेकिन अधिकारी की सेटिंग कर बर्षों से डीपीएस कार्यालय में अटैचमेंट कराकर कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास का काम संभल रहे है। वकायदा इनको हर महिनें इन वार्डन के द्वारा दक्षिण चढ़ा दी जाती है। इसलिए ये इनके लिए रक्षक की भूमिका में नजर आते है।

कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावासों में लगने वाले सामान की खरीदी में बड़ा खेल…!

जिलें के परासिया विकासखंड के कपरवाडी कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में पिछले पांच वर्ष में फर्जी बिलों से वार्डन द्वारा लाखों की हेराफेरी की गई है । सूत्रों की जानकारी अनुसार छात्रावास में लगने वाले सामानों के नाम पर फर्जी बिलों से भुगतान किया गया है । जिसकी जाँच होना चाहिए। यदि जाँच हुई तो कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में बडा मामला निकलकर समाने आ सकता है। सामान छात्रावासों में है या नहीं, यह देखा जाना चाहिए ।
कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं। कुछ बालिकाओं की सुविधाओं के लिए सामग्री जुटाई जाती है तो कुछ कार्यालय प्रयोग के लिए। कैंपस में भी निर्माण के कार्य होते हैं। इसके लिए बाकायदा बिल आदि लगाया जाता है। इन कार्यों का ऑडिट आदि भी होता है। ऑडिट में केवल कागज देखे जाते हैं। सामान छात्रावास में आया या नहीं, इसका मूल्यांकन नहीं होता। सूत्रों का कहना है कि कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में पिछले वर्षों के दौरान लाखों रुपये का सामान खरीदा गया, लेकिन अब नहीं दिख रहा। कुछ लोगों पर शक है कि वह इन सामानों का प्रयोग अपने निजी कार्यों के लिए कर रहे हैं। या फिर फर्जी बिल लगाकर राशि का निकल ली जाती है । यह जानकारी जिलें में बैठे उच्च अधिकारियों को भी पता होता है। सूत्रों का कहना है डीपीसी कार्यालय में पदस्थ बाबू से लेकर निगरानी करने वाले अधिकारी एंव डीपीसी को भी इसमें हिस्सा जाता है। अब देखना है क्या डीपीसी महोदय कपरवाडी में बर्षों से पदस्थ वार्डन को हटाकर इनकें द्वारा पिछले पांच बर्षों में खरीदें गयें समान की जाँच कर आएंगे या फिर..?

मैंने द्वारा विज्ञप्ति निकल दी गई है। जल्द ही कपरवाडी कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में नई वार्डन की भर्ती होगी….

जब इस संबंध में डीपीसी सर से बात हुई तो उनका कहना है कि हमारे द्वारा नई वार्डन की भर्ती के लिए शिक्षिकाओं से आवेदन बुलाए गए थे। यदि आवेदन नहीं भी आतें है तो फिर काउंसलिंग कराकर भर्ती की जाएगी। जंहा तक बात वार्डन के द्वारा छात्रावास में खरीदे गए सामान की है तो इसकी मैं जांच कराऊंगा..