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मण्डल संयोजक, अधीक्षक एवं विभिन्न पदों पर काबिज होने के लिए शिक्षकों में होड़ सी लगीं…?

सांकेतिक चित्र

मण्डल संयोजक, अधीक्षक एवं विभिन्न पदों पर काबिज होने के लिए शिक्षकों में होड़ सी लगीं…

अधीक्षक बनने के लिए लग रही लाखों की बोली…आखिर क्यों.?

By admin
4 August 2024
पंचायत दिशा समाचार

छिदंवाडा- जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में इन दिनों मण्डल संयोजक, अधीक्षक एवं विभिन्न पदों पर काबिज होने के लिए शिक्षकों में होड़ सी लग गई है। शिक्षकों का कार्य बच्चों को बेहतर शिक्षा देना एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना होता है, किंतु शिक्षकीय कार्य छोड़कर शिक्षक अधिकारी एवं अधीक्षक बनने के लिए नेताओं और अधिकारियों के चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं। एक ओर शासन चाहती है कि शिक्षा में सुधार हो। नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा हुए चार साल बीत गए हैं। इस उपलक्ष में केंद्र सरकार की तरफ से शिक्षा सप्ताह भी मनाया जा रहा है।

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वह भी कई शालाओं में खाना पूर्ति की जा रही है। जिले के बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं गणितीय दक्षताओं को हासिल करने में आज पर्यन्त सफल नहीं हुए हैं। जबकि 2026–27 तक बच्चों में इन दक्षताओं को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में नया जिला बना पाडुरना के एक अधीक्षक को प्रभारी मंडल संयोजक बना दिया गया।जबकि अभी पांडुरना के पूरे काम छिदंवाडा से ही हो रहे है । वहीं सूत्रों का कहना है कि ने इस में बडा खेल चल रहा है। देखने वाली बात ये है कि, इसमें कौन दोषी है ? कई अधीक्षक ऐसे हैं, जो कई सालों से अंगद के पांव की तरह जमे हैं, किंतु आश्रम छात्रावासों में शिक्षा की गुणवत्ता कही भी दिखाई नहीं देती। इधर बर्षों से छिदंवाडा में पदस्थ मंडल संयोजक जिनका अभी प्रमोशन हो गया है और अभी भी जिले भी ही पदस्थ है।उन्होंने ने भी बर्षों से निरीक्षण के नाम पर खाना पूर्ति करते दिखाई देते थे।

जिलें में दो की जगह चार क्षेत्र संयोजक

जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में दो क्षेत्र संयोजक की पोस्टिंग है लेकिन यहां अभी भी चार क्षेत्र संयोजक पदस्थ हैं क्योंकि दो क्षेत्र संयोजक कि अभी नई पोस्टिंग हुई है और दो मंडल सहयोग जो पहले से ही छिंदवाड़ा में पदस्थ थे उनका प्रमोशन भी यही कर दिया गया है इसलिए अभी भी यहां चार क्षेत्र संयोजक पदस्थ हैं आखिर दो मंडल सहयोग को कब रिलीव किया जाएगा..?

आज जिलें में हालत यह है कि मंडल संयोजक के द्वारा कभी भी छात्रावास/ आश्रम शालाओं का निरीक्षण नहीं किया जाता है ।जिसके कारण छात्रावास/आश्रम शालाओं की व्यवस्थाओं सुधार नहीं हो रही है।

जनजातीय कार्य विभाग केवल बच्चों के मानसिक और शैक्षणिक शोषण करने पर तुला हुआ है। शिक्षा के नाम पर बच्चों को आश्रम छात्रावासों में भर्ती करवाया जाता है, शासन प्रशासन केवल उनके रहने खाने पीने पर ज़्यादा ध्यान दे रही है,लेकिन वह सारी व्यवस्थाएं भी मैदानी स्तर सही नहीं दिख रही हैं। शिक्षा की बात करना तो दूर की बात है। जब तक जोड़–तोड़ की राजनीति शिक्षा पर हावी रहेगी तब तक बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिरता ही चला जाएगा। यदि छिदंवाडा जिले में शिक्षा का स्तर सुधारना है तो शिक्षा में राजनीति को बंद करना पड़ेगा। शिक्षकों को उनके मूल कार्य शिक्षण में ध्यान लगाना होगा।

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8839760279