स्कूलों और आंगनवाड़ियों में वॉटर टैंक बनाने लापरवाही आई सामने
घोटालाः साल भर भी नहीं टिक सके वॉटर टैंक स्कूली बच्चे पी रहे प्लास्टिक के डिब्बे से पानी
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा /जल जीवन मिशन के नाम पर जिले में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आया है ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से मोदी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना मिट्टी में मिल गई है। आलम यह है कि स्कूलों और आंगनवाड़ियों में सिर्फ स्ट्रेक्चर तैयार कर ठेकेदारों को पीएचई विभाग ने पैमेंट कर दिया है कई स्कूलों में वॉटर टैंक बनाने के साथ मोटर लगाकर पानी भरने की व्यवस्था भी की गई थी लेकिन गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य होने के कारण 6 माह भी बच्चे वॉटर टैंक से पानी नहीं पी सके।
लाखों रुपए की लागत से तैयार किए गए वॉटर टैंक में गुणवत्ताहीन प्लास्टिक के नल लगाए गए थे जो नल चालू करते हुए बच्चों के हाथों में आना शुरू हो गए। इसके बाद दिवारों से टाइल्स उखड़कर नीचे गिरने लगी। छह माह भी मोटर नहीं चल सकी मजबूरी में स्कूली बच्चों को प्लास्टिक की बाल्टी और डिब्बे का पानी पीना पड़ रहा है। स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने आने वाले रसोइए की पानी भरने के लिए भी ड्यूटी लगी हुई है। हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से करीब 22 किमी दूर ही सड़क किनारे संचालित होने वाले सोनापिपरी प्राथमिक और मिडिल स्कूल में यह नजारा देखा जा सकता है। माध्यमिक स्कूल सोनापिपरी में यहां पर मध्याह्न भोजन बच्चों को परोसा जा रहा था मध्याह्न भोजन जहां परोसा जा रहा था वहां नजदीक ही प्लास्टिक की बाल्टी और तेल के पुराने डिब्बों में पानी भरा हुआ था नजदीक में 3-4 स्टील की ग्लासें बच्चों के पानी पीने के लिए रखी गई थी बच्चे प्लास्टिक के डिब्बे को लुढ़काकर ग्लास में पानी लेकर पी रहे है
कुएं से रसोइया लाता है बच्चों के लिए पीने का पानी
जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिले के प्रत्येक स्कूलों और आंगनवाड़ियों में पेयजल व्यवस्था की जानी थी लेकिन इस योजना के नाम पर जिले में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है सोनापिपरी स्कूल में जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी का निर्माण हो चुका है लेकिन यह टंकी बंद पड़ी है ठेकेदार को भुगतान भी विभाग द्वारा किया जा चुका है अब बच्चों को पीने के लिए स्कूल में पानी उपलब्ध नहीं है पुराने तेल की कुप्पी और प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भरकर बच्चों के लिए रखा जाता है स्कूल से कुछ दूरी पर एक खेत है जहां के कुएं से रोजाना रसोइया पानी भरकर लाता है मध्याह्न भोजन भी इसी पानी से बनता है जो पानी बचता है उसका उपयोग स्कूली बच्चों के पीने के लिए किया जाता है।
गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य 6 माह भी नहीं टिका
सोनापिपरी स्कूल में एक साल पहले वॉटर टैंक बनाया गया था जहां पर पानी की व्यवस्था के लिए मोटर भी लगाई थी लेकिन लाखों रुपए की लागत से बनाया गया यह वॉटर टैंक 6 माह भी नहीं चल सका। सस्ते और घटिया प्लास्टिक नल का उपयोग वॉटर टैंक में किया गया था चंद दिनों में ही नल टूटकर बच्चों के हाथों में आने लगे इसके बाद टाइल्स उखड़ना शुरू हो गई अब यहां पर लगी मोटर भी जल चुकी है जबकि जो पाइप लगाए गए थे यह भी सड़ गए हैं। वॉटर टैंक जर्जर होने के बाद अब स्कूल प्रबंधन द्वारा वैकल्पिक रूप से नजदीकी कुएं का पानी बच्चों को पिलाया जा रहा है गर्मी के दिनों में जब पानी की किल्लत होती है तब सोनापिपरी बस्ती से पानी लाया जाता है।
जल जीवन मिशन हो गया फेल
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स्कूलों में बनना था वॉटर टैंक
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स्कूलों में वॉटर टैंक चालू होने का दावा
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स्कूलों में अब भी काम नहीं हुआ चालू