जनजातीय कार्य विभाग में बड़े भ्रष्टाचार का आरोप, बड़ी राशि का बंदर बांट…?
छिंदवाड़ा जिले के जनजाति कार्य विभाग मे एक बार फिर बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, जिसमें भवन के मरम्मत के नाम पर अधिकारी एवं ठेकेदारों ने मिलकर एक बड़ी राशि का बंदर बांट किया है।
पूरा मामला जिले के बिछुआ ,हर्रई जुन्नारदेव, तामिया, चौरई मैं हुए भवन मरम्मत में देखा जा सकता है ऐसे ही मामला तामिया ब्लॉक के खेल परिसर का भवन में बरसों से मरम्मत के नाम पर लाखों की हेरा फेरी की जा रही है वर्ष 2024 में खेल परिसर भवन की मरम्मत के नाम पर 50 लाख की हेरा फेरी की कर दी गई दिखावा के लिए थोड़ा बहुत पुताई कर दी गई, मरम्मत निर्माण की गुणवत्ता इतनी मजबूत थी,कि मात्र रंग रोगन से ही भवन चमचमाने लगी परंतु अधिकारी एवं ठेकेदारों ने मिलकर 50 लाख रुपए की राशि का बंदर बांट किया है, कई बार शिकायत होने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है
जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा भ्रष्टाचार और अनियमितता का पर्याय बन गया है कभी छात्रावास में तो कभी निर्माण कार्यों में, इस बार जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित खेल परिसर भवन तामिया मे मरम्मत के नाम पर 50 लाख रुपए मरम्मत कार्य कर के लिए विभाग ने मार्च 2024 में राशि डाली, जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा द्वारा टेंडर किसी अखबार मैं नहीं निकल गया! आश्चर्य की बात यह है कि 50 लाख रुपए के काम में कोई निविदा निकल गई जिले के छात्रावास भवन की मरम्मत के लिए सिर्फ तीन ठेकेदार जो अधिकारी से मिली भगत कर काम कर रहे हैं छात्रावास भवन मरम्मत पूरा कार्य ही सवालों के घेरे में है।
बिल्डिंग की दीवारों में रंगी पुताई और दरवाजा में पॉलिश कर अधिकारी एवं ठेकेदारों ने मिलकर करोड़ों की हेरा फेरी कर दी! जबकि दरवाजे खिड़कियां अब भी जर्जर पड़ी हुई है दीवारों में जगह-जगह क्रेक नजर आ रहे हैं पुट्टी उखड़ रही है, इस पूरे मामले में कई बार शिकायत होने के बाद भी जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त संबंधित ठेकेदार पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं से साबित होता है कि कहीं ना कहीं सहायक आयुक्त एवं ठेकेदार की मिली भगत नजर आ रही है विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने सरकारी पैसे का दुरुपयोग अपनी जेब भरे हैं
जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में मरम्मत , कार्य में भ्रष्टाचार होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता,
निविदा प्रक्रिया को मैनेज कर अपने चाहते ठेकेदारों को काम दिलाने का जिले में यह पहला मामला नहीं है इस तरह के अन्य मामले भी सामने आए हैं पर आदिवासी जिले में जनजाति कार्य विभाग द्वारा इस तरह का भ्रष्टाचार आदिवासियों के साथ एक बड़े चल के रूप में देखा जा रहा है, करोड रुपए की बड़ी राशि को सिर्फ मरम्मत कार्य में खर्च करना कितना वाजिब है सूत्रों की माने तो मरम्मत कार्य के लिए जिन छात्रावासों में राशि डाली गई थी उन छात्रावास के अधीक्षक पर दबाव बनाकर चेक के द्वारा बिना मरम्मत कार्य के राशि वापस ले ली गई..?
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रिपोर्ट ठा. रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284