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नरवाई प्रबंधन हेतु सुपर सीडर जिले के लिए कारगर उपकरण – कलेक्टर श्री सिंह

नरवाई प्रबंधन हेतु सुपर सीडर जिले के लिए कारगर उपकरण – कलेक्टर श्री सिंह
डीएपी से बेहतर विकल्प एनपीके उर्वरक- कृषि वैज्ञानिक श्री शर्मा
कम से कम एक एकड़ में सूपर सीडर से नरवाई प्रबंधन करे किसान- उप संचालक कृषि

छिन्दवाड़ा/ जिले के विकासखंड चौरई के ग्राम चांद में कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा नरवाई प्रबंधन पर एक कार्यशाला और ऑन-फील्ड प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला कलेक्टर श्री शीलेंद्र सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मक्का की नरवाई पर सुपर सीडर का प्रदर्शन- कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने कृषक श्री महेश्वरी के खेत में आयोजित ऑन-फील्ड प्रदर्शन का अवलोकन किया, जहां मक्के की खड़ी नरवाई पर सुपर सीडर का उपयोग करके सीधे सरसों की बुवाई की गई थी। उन्होंने जिले के किसानों को जीरोटिलेज तकनीक को अपनाने और नरवाई प्रबंधन के लिए सुपर सीडर का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सुपर सीडर जिले के किसानों के लिए नरवाई प्रबंधन का एक कारगर उपकरण साबित होगा। इसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ फसल की उत्पादकता में भी वृद्धि की जा सकती है।

किसानों के अनुभव और लाभ-कलेक्टर श्री सिंह ने क्षेत्र के किसानों से बातचीत की, जिसमें कृषक श्री प्रवेश रघुवंशी ने बताया कि वह पिछले दो वर्षों से सुपर सीडर का उपयोग कर मक्के की नरवाई का प्रबंधन कर रहे हैं और रबी फसल की बुवाई करते हैं। इसके साथ ही ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई भी इसी पद्धति से करते हैं। उन्होंने साझा किया कि रबी फसल, विशेषकर सरसों, की प्रति एकड़ उत्पादकता 8 से 10 क्विंटल तक होती है। इसके अतिरिक्त अन्य किसानों, जैसे श्री आलोक जैन, श्री महेश्वरी और श्री प्रदीप चौरसिया, ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिनसे स्पष्ट हुआ कि सुपर सीडर तकनीक किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो रही है।

नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम योजना की जानकारी- कार्यक्रम के दौरान उप संचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह ने किसानों को नरवाई प्रबंधन के लिए लागू की गई सरकारी योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम योजना के तहत 33 ग्रामों का चयन किया जा चुका है, जिन्हें नरवाई जलाने से मुक्त बनाना है।


इस योजना का मुख्य उद्देश्य है:
नरवाई जलाने की घटनाओं को कम कर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना।

मृदा में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाना।
गेहूं की उत्पादकता में सुधार लाना।

उत्पादन लागत कम कर किसानों की आय में वृद्धि करना।
उन्होंने बताया कि सुपर सीडर और हैप्पी सीडर के उपयोग से गेहूं की सीधी बुवाई धान या मक्का की कटाई के तुरंत बाद की जा सकती है। इससे गेहूं की फसल 10-15 दिन पहले तैयार हो जाती है, जिससे मार्च के अंत में बढ़ने वाले तापमान से फसल को बचाया जा सकता है और इस तरह उत्पादन में वृद्धि होती है।उन्होंने किसानों से कम से कम एक एकड़ भूमि पर सुपर सीडर का उपयोग कर नरवाई प्रबंधन करने और सीधी बुवाई से उत्पादन लागत में कमी लाने की अपील की। उन्होंने बताया कि प्रति किसान प्रति एकड़ 1650 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

सरकार द्वारा अनुदान योजना की जानकारी- किसानों को सुपर सीडर और हैप्पी सीडर क्रय करने पर अनुदान की जानकारी दी गई। सहायक कृषि यंत्री श्री समीर पटेल ने बताया कि सुपर सीडर क्रय करने के लिए इच्छुक किसानों को 5000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट सहायक कृषि यंत्री छिंदवाड़ा के नाम से बनवाना होगा, और एमपी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अनुदान हेतु आवेदन करना होगा। यह कृषि यंत्र लगभग 2.50 से 3.00 लाख रुपये की लागत का होता है, जिसमें सरकार द्वारा अधिकतम 1.05 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। अब तक जिले के 78 किसानों ने इस योजना का लाभ उठाने के लिए पंजीकरण कराया है।

डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग: कृषि वैज्ञानिकों की सलाह– डॉ. आर.सी. शर्मा, डीन उद्यानिकी महाविद्यालय, ने कार्यशाला में किसानों को संतुलित उर्वरक के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने डीएपी उर्वरक के स्थान पर एनपीके और अन्य काम्प्लेक्स उर्वरकों के उपयोग की सलाह दी, जिससे उत्पादन लागत कम होगी और बेहतर उत्पादकता प्राप्त होगी। साथ ही उन्होंने नरवाई जलाने के दुष्परिणामों और तकनीकी कठिनाइयों की जानकारी दी और किसानों से नरवाई को जलाने के बजाय इसका उचित प्रबंधन करने की अपील की।

ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव: किसानों की पसंद- कार्यक्रम के अंत में, भूमिजा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा गन्ने की फसल पर ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव किया गया। यह नई तकनीक किसानों को बहुत पसंद आई, और उन्होंने इसकी सराहना की।किसानों को दिलाई गई शपथ- कार्यक्रम के समापन पर कलेक्टर श्री शीलेंद्र सिंह ने किसानों को नरवाई जलाने से बचने और उसका प्रबंधन करने की शपथ दिलाई। उन्होंने किसानों से पर्यावरण संरक्षण और उत्पादकता वृद्धि के उद्देश्य से नरवाई का उचित प्रबंधन करने का आह्वान किया।


इस कार्यक्रम में उप संचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह, डीन उद्यानिकी महाविद्यालय एवं सह संचालक आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, छिंदवाड़ा, डॉ. आर.सी. शर्मा, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व चौरई श्री प्रभात मिश्रा, तहसीलदार चांद श्रीमती शोभना ठाकुर, नगर परिषद अध्यक्ष श्री कामेंद्र ठाकुर, सहायक कृषि यंत्री श्री समीर पटेल, माननीय जनप्रतिनिधि, भूमिजा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सदस्य, शक्तिमान कंपनी के तकनीकी सहायक और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।